स्वतंत्र पत्रकार विजन संवाददाता
गाजीपुर। अल्ट्रासाउंड एवं डायग्नोस्टिक सेंटर की बड़ी लापरवाही सामने आने के बाद अल्ट्रासाउंड सेंटरों में होने वाली जांच व उसकी रिपोर्ट पर संदेह होने लगा है। सवाल उठ रहे हैं कि मरीज की अल्ट्रासाउंड जांच की रिपोर्ट हकीकत में रेडियोलॉजिस्ट की देखरेख में तैयार होती भी है या ऐसे ही रिपोर्ट बना दी जाती है। नंन्दगंज निवासी हीरालाल यादव की शिकायत के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी हरकत में आ गए हैं। विभाग के पास पहले भी शिकायतें आईं थीं कि अल्ट्रासाउंड एवं डायग्नोस्टिक सेंटर पर जांच और रिपोर्ट स्टाफ ही तैयार कर देता है। रिपोर्ट पर फर्जी रेडियोलॉजिस्ट के साइन किया जाता हैं।बता दें कि हीरालाल यादव ने पत्नी इन्दू देवी को शिवम् हॉस्पिटल में दिखाया डॉ राम अवतार यादव के द्वारा लिखी गई पर्ची से विशेश्वरगंज स्थित आर.पी डायग्नोस्टिक सेंटर में उनकी पत्नी इन्दू की रिपोर्ट में कुछ स्वास्थ्य समस्याएं दर्शाई गई जिसे सर्जरी करना होगा। पीड़ित मरीज ने इस सेंटर में दो बार जांच कराई दोनों बार रिपोर्ट स्वास्थ्य समस्याएं दर्शाइ गई। जबकि वही मरीज का गाजीपुर जिला अस्पताल में डॉक्टर ने सीटी स्कैन कराया जिसमें रिपोर्ट सामान्य दिखाई गई । फिर वही जिला अस्पताल में महिला का अल्ट्रासाउंड भी किया गया जिसमें रिपोर्ट समान दिखाई गई।
भिन्नता और उनके परिजनों में घबराहट को चिंता उत्पन्न कर दी वह समझने में असमर्थ है कि किस रिपोर्ट को सही माना जाए और किस आधार पर इलाज किया जाए इस अजमंजस में उन्हें डर है कि किसी रिपोर्ट को सही मानकर इलाज शुरू किया गया और वह गलत साबित हुआ तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं इस स्थिति में अगर मरीज के साथ कोई अनहोनी होती है तो क्षतिपूर्ति करना भी मुश्किल होगा ।
ऐसे में यह देखना जरूरी है कि नियमों का यहां पालन हो रहा है या नहीं अल्ट्रासाउंड सेंटर चलाने के लिए बाकी जो भी नियम है उनका पालन हो रहा या नहीं सभी पहलुओं की जांच की जाए। कानून के अधीन जांच पूरी की जाए और जिसकी भी गलती पाई जाएगी। कानून के मुताबिक सरकारी जिला अस्पताल के डाक्टर रेडियोलॉजिस्ट हो या निजी डायग्नोस्टिक सेंटर कड़ी कार्रवाई की जाए।