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प्रवासी साहित्य मूलतः सांस्कृतिक द्वंद का साहित्य है -शहजादी बानो

रिपोर्ट गुड्डू यादव
स्वतंत्र पत्रकार विजन

                     गाजीपुर पी०जी० कालेज गाजीपुर में पूर्व शोध प्रबन्ध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी महाविद्याल के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा विभागीय शोध समिति के तत्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार हाल में सम्पन्न हुई, जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। उक्त संगोष्ठी में भाषा संकाय के अंग्रेजी विषय की शोधार्थिनी शहजादी बानो ने अपने शोध प्रबंध शीर्षक "फिक्सन ऑफ झुम्पा लाहिरी : ए स्टडी इन डायस्पोरा" नामक विषय पर शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि डायस्पोरा का अर्थ प्रवासी भारतीयों द्वारा रचित साहित्य से  है। झुम्पा लाहिरी मूलतः उपन्यासकार, कथाकार एवं निबंधकार है, जो अमेरिका की नागरिक है और अमरीकन साहित्यकार के रूप में इनकी पहचान है। इनका जन्म लन्दन में 1967 में हुआ था। इनके माता पिता कलकता से लन्दन गये थे जो बाद में अमेरीकी प्रवासी हो गये। प्रवासी साहित्य मूलतः सांस्कृतिक द्वंद का साहित्य है जिसमें व्यक्तिगत पहचान की खोज अहम पहलू होती है। शोध छात्रा ने झुम्पा लाहिरी के दो उपन्यासो-द नेमसेक और द लोलैंड तथा दो कहानियों इंटरप्रेटर ऑफ मैलाडीज  एवं अनअकस्टमड अर्थ  के संकलनों का विषद अध्ययन किया है और आगे कहा कि प्रवासी साहित्य में कल्चरल कन्फ्रन्टेशन और कल्चरल एसीमिलेशन दोनों ही होता है जो व्यक्तित्व के विकास में सहायक होता है। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थिनी शहजादी बानो ने संतुष्टिपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात समिति एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह , मुख्य नियंता प्रोफेसर (डॉ०)एस० डी० सिंह परिहार, शोध निर्देशक एवं अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफे० (डॉ०) रविशंकर सिंह, प्रोफे०(डॉ०) अरुण कुमार यादव, डॉ० रामदुलारे, डॉ० कृष्ण कुमार पटेल, डॉ० अमरजीत सिंह, डॉ० रामनारायण तिवारी, डॉ.अजय सिंह, प्रोफे०(डॉ०)सत्येंद्र नाथ सिंह, डॉ० हरेंद्र सिंह, डॉ० रविशेखर सिंह, डॉ० योगेश कुमार, डॉ०शिवशंकर यादव, डॉ पीयूष कांत सिंह, डॉ मनोज कुमार मिश्रा एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र छात्रएं आदि उपस्थित रहे। अंत में अनुसंधान एवं विकास प्रोकोष्ठ के संयोजक प्रोफे०(डॉ०) जी० सिंह ने  सभी का आभार व्यक्त किया।
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