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भगवान को भक्ति में निहित प्रेम और सादगी अधिक प्रिय है, न कि भौतिक संपत्ति साध्वी स्वेतिमा माधव प्रिया

श्रीमद भागवत कथा का तृतीय दिवस

स्वतंत्र पत्रकार विजन
गिरीश नारायन शर्मा

गोरखपुर

जय गणेश मित्र मंडल द्वारा गणपति महोत्सव के उपलक्ष्य में भस्मा डवरपार में अयोजित श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस पर
साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया ने सुखदेव जी द्वारा राजा परीक्षित को दिए गए उपदेश का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि सुखदेव जी ने भगवान श्रीकृष्ण की अनंत महिमा और उनके भक्तों के प्रति करुणा का उल्लेख करते हुए परीक्षित को भक्ति और समर्पण का मार्ग अपनाने का उपदेश दिया। इस प्रसंग को साध्वी जी ने विदुर और श्रीकृष्ण के संवाद से जोड़ा, जिसमें विदुर की निःस्वार्थ भक्ति और सत्य के प्रति निष्ठा को भगवान ने उनके घर पधारकर सम्मानित किया। विदुर का यह आदर्श दिखाता है कि भगवान को भक्ति में निहित प्रेम और सादगी अधिक प्रिय है, न कि भौतिक संपत्ति।
साध्वी जी ने यह भी कहा कि परीक्षित और विदुर दोनों ही कठिन परिस्थितियों में थे, लेकिन दोनों ने भक्ति का मार्ग अपनाया और भगवान ने उनकी रक्षा की। परीक्षित ने जीवन के अंतिम क्षणों में सुखदेव जी से ज्ञान प्राप्त किया, जबकि विदुर ने अपने जीवन में सत्य और धर्म का पालन किया। दोनों प्रसंगों से यह सिद्ध होता है कि सच्ची भक्ति, निःस्वार्थ प्रेम और समर्पण से ही भगवान की कृपा प्राप्त होती है। चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, भगवान अपने भक्तों का कभी त्याग नहीं करते।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से बृजेश मणि त्रिपाठी, डा सौरभ,डा विनय श्रीवास्तव,गौतम पाण्डेय, दीपक पाण्डेय, डा रागिनी पाण्डेय,सुभाष पाण्डेय,कौशल किशोर नादान ,सोनू पाण्डेय,बाल भक्त सौराष्ट्र,रवि दुबे , नवनीत पाण्डेय, रजनीश पाण्डेय,राजन पाण्डेय, अंबेश्वरी पाण्डेय ,गुलाब पाण्डेय, डा रागिनी पाण्डेय, गुरू बाबा ,गोविंद पाण्डेय, सुरेंद्र पाण्डेय , सोमनाथ पाण्डेय,आदि श्रद्धालुओ ने भागवत कथा रस का पान किया।

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