रिपोर्ट गुड्डू यादव
स्वतंत्र पत्रकार विजन
गाजीपुर। स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर में पूर्व शोध प्रबन्ध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी महाविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा विभागीय शोध समिति के तत्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार हाल में सम्पन्न हुई, जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। उक्त संगोष्ठी में भाषा संकाय के हिंदी विषय के शोधार्थी निशान्त पाण्डेय ने अपने शोध शीर्षक “हिन्दी साहित्य के इतिहास में विन्ध्यमण्डल के साहित्यकारों का योगदान” नामक विषय पर शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि विन्ध्यमण्डल के साहित्यकारों ने हिंदी साहित्य के विकास व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है। इस दृष्टि से विन्ध्यमण्डल के प्रमुख साहित्यकारों में बदरीनारायण प्रेमघन, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, राजेन्द्रबाला घोष, पान्डेय बेचन शर्मा उग्र, कुशवाहा कांत , ज्ञानरंजन, डॉ० किशोरी लाल गुप्त इत्यादि के साहित्यिक अवदान पर सारगर्भित वक्तव्य दिया। विन्ध्यमण्डल, हिन्दी साहित्य व उसके समर्पित साहित्यकारों की जन्म एवं कर्मभूमि रही है। यहाँ जन्में ख्यातिलब्ध साहित्यकारों ने विभिन्न साहित्यिक युगों एवं विधाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। प्रगाढ़ पांडित्य और विशाल मानवता वादी दृष्टिकोण की विविधताओं में साहित्य के अतिरिक्त इतिहास, दर्शन, पुरातत्व और कला आदि सभी विषयों के विकास का मार्ग विन्ध्यमण्डल ने प्रशस्त किया है। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थी निशान्त पाण्डेय ने संतुष्टिपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात समिति एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह, मुख्य नियंता प्रोफेसर (डॉ०) एस० डी० सिंह परिहार, शोध निर्देशक डॉ० संजय चतुर्वेदी एवं हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ०) विनय कुमार दुबे, डॉ० संजय कुमार सुमन, डॉ० योगेश कुमार, डॉ० समरेंद्र नारायण मिश्र, डॉ० धर्मेन्द्र निषाद, डॉ० मनोज कुमार मिश्र, डॉ० भोलेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ० अतुल कुमार सिंह एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र छात्राएं आदि उपस्थित रहे। अंत में अनुसंधान एवं विकास प्रोकोष्ठ के संयोजक प्रोफे०(डॉ०) जी० सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।