रिपोर्ट गुड्डू यादव
स्वतंत्र पत्रकार विजन
गाजीपुर। डीपीआरओ कार्यालय इन दिनों बिना अभिलेखों का चल रहा है। इसका खुलासा आरटीआई (जन सूचना अधिकार) के तहत मांगी गई, जानकारी से हुई है। स्थिति यह है कि ओडीएफ प्लस के तहत चयनित ग्राम पंचायत में खरीदे गए, ई- रिक्शा डस्टबिन और सफाई संबंधित किट के लिए किए गए भुगतान की ना तो कोई जानकारी है और ना ही अभिलेख मौजूद हैं। सदर विकासखंड के रसूलपुर बेलवा निवासी कमलेश सिंह यादव ने बीते 11 सितंबर को जन सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी कि ओडीएफ प्लस ग्राम पंचायतो में कूड़ा उठान के लिए सप्लाई हुई। ई- रिक्शा के फॉर्म की टैक्स इनवॉइस की प्रमाणित छाया प्रति उपलब्ध कराई जाए। इस पर विभाग द्वारा सीधे तौर पर कोई अभिलेख ना होने का हवाला दिया गया है। ग्राम पंचायत में खरीदी गई प्रति ई- रिक्शा का कितना भुगतान हुआ है। इसके भी अभिलेख नहीं है। वहीं कूड़ा रखने के लिए गांव में खरीदे गए डस्टबिन पर कितना खर्च आया है और किस फॉर्म द्वारा खरीद की गई है। इसका कोई विवरण मौजूद नहीं है। ग्राम पंचायत में खरीदी गई सफाई किट की लागत और प्रत्येक किट में कौन सी सामग्री है, इसका कोई कागजात नहीं है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि ग्राम पंचायत में सप्लाई की गई ई-रिक्शा का पंजीकरण और बीमा संबंधित अभिलेख है कि नहीं, यह जवाब देना तो दूर इस संबंध में संबंधित विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने मौन साध लिया है। शिकायतकर्ता कमलेश सिंह यादव ने बताया कि डीपीआरओ द्वारा सही जानकारी नहीं दी गई है। अब शासन से कार्यवाही की मांग की जाएगी। विभाग से ग्राम पंचायत में खरीद फरोख्त के नाम पर करोड़ों की अनियमित हुई है।
यह आरटीआई में मिली सूचना से साफ प्रदर्शित हो रहा है। यह करप्शन नहीं तो और क्या है? क्या इसकी निष्पक्ष जांच होगी और दोषियों को जेल भेजा जाएगा या ऐसे ही करप्शन खेल होता रहेगा? यह तो आने वाला समय पर ही निर्भर करेगा?