रिपोर्टर मुकेश सिंह
स्वतंत्र पत्रकार विजन
सुखपुरा(बलिया)। ‘हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे’ महामंत्र संकीर्तन के से शरीर में आने वाला कष्ट भी निष्प्रभ हो जाता संकीर्तनहै और मनुष्यों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
उक्त बातें स्वामी हरिहरानंद जी महाराज ने रविवार को महानिशा अष्टमी की देर शाम कस्बा स्थित पं जनार्दन उपाध्याय के घर पर चल रहे अखंड कीर्तन के दौरान कहीं ।प्रवचन के दौरान उपस्थित धर्मानुरागियों को बताया कि रामचरित मानस के रचयिता तुलसी दास भी इस कृति को तभी तैयार कर पाए जब उन्हें भगवान शंकर की प्रेरणा व राम नाम का सहारा मिला। स्वामी जी ने इस दौरान हनुमान चालीस की भी चर्चा की और कहा कि इसमें वर्णित है कि होई सिद्धि साखी गौरीसा.. इसका मतलब है हनुमान चालीसा के पाठ व राम नाम संकीर्तन व भजन से मनुष्य ईश्वर के निकट पहुंच जाता है और उसकी सफलता व सिद्धि का मार्ग खुल जाते हैं। बताया कि राम नाम का अंगीकार करते ही आरोग्य मिलने लगता है। अरोग्यता के लिए राम नाम संकीर्तन बहुत जरूरी है। मंदिर कितना ही विशाल हो सारे देवी, देवताओं के प्राण प्रतिष्ठा हो ।पूजा पाठ हो, राज भोग लगता हो, इससे मंदिर की शोभा नहीं बढ़ता। मंदिर की शोभा राम नाम संकीर्तन ,हनुमान चालीसा, राम चरित मानस होना अति आवश्यक है। तभी वहां भगवान वास करते हैं ।मनुष्य को अपने पुत्रों को संस्कारीक बनाना उनका परम कर्तव्य होता है। अगर कोई मनुष्य या माता-पिता अपने पुत्र को संस्कारिक नहीं बन पाता ।तो वह माता-पिता कहलाने के लायक नहीं है। इसलिए सभी को राम नाम संकीर्तन, हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। जिससे हर व्यक्ति संस्कारिक बन सके। इस मौके पर स्वामी जी के परम शिष्य वीरेंद्र जी, हरेंद्र नाथ उपाध्याय, प्रवीण सिंह, बद्रीनाथ सिंह, गजाधर शर्मा, अरविंद उपाध्याय, झुनू सिंह, विजय सिंह, शारदानंद सिंह, राजेंद्र सिंह आदि लोग प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।