Home » रतन सेन डिग्री कॉलेज, बांसी में मनाई गई गांधी और शास्त्री जयंती
Responsive Ad Your Ad Alt Text

रतन सेन डिग्री कॉलेज, बांसी में मनाई गई गांधी और शास्त्री जयंती

दुर्गेश मुर्तिकार

सिद्धार्थ नगर बांसी। दिनांक 02 अक्टूबर, को बाँसी स्थित रतन सेन डिग्री कालेज में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी व देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयन्ती धूमधाम से मनाई गयी इसी क्रम में ‘‘वर्तमान वैश्विक परिप्रेक्ष्य में महात्मा गाँधी के अहिंसा दर्शन की प्रासंगिकता’’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें प्रो0 मिथिलेश कुमार तिवारी ने कहा गांधी दर्शन मूलरूप से सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था करुणा, प्रेम, नैतिकता, धार्मिकता व ईश्वरीय भावना पर आधारित है।
प्रो0 अर्चना मिश्रा ने कहा गांधीजी के अनुसार मन, वचन और शरीर से किसी को भी दु:ख न पहुँचाना ही अहिंसा है। गांधीजी के विचारों का मूल लक्ष्य सत्य एवं अहिंसा के माध्यम से विरोधियों का हृदय परिवर्तन करना है। आज के संघर्षरत विश्व में अहिंसा जैसा आदर्श अति आवश्यक है।
प्रो0 शरीफुद्दीन ने खादी की वकालत करते हुए संदेश दिया कि हर एक व्यक्ति को अवश्य ही उत्पादक होना चाहिए। इसी तरह, ग्रामीण अर्थव्यवस्था का पक्ष लेते हुए उन्होंने उत्पादन के विकेंद्रीकरण के फायदे पर जोर दिया था।
कार्यक्रम समन्वयक अंग्रेजी विभाग के देवेन्द्र प्रसाद ने कहा कि गांधी जी के विचार और वर्तमान के सम्बन्ध में चिन्तन करने पर लगता है कि आज की स्थिति, परिस्थिति और लोगों की मन:स्थिति में बहुत अन्तर है। सब एन-केन-प्रकारेण साध्य तक पहुँचने को आतुर दिखते हैं। इस आतुरता की जिद में सारे नीति, नियम, कायदे व कानून को तोड़कर हम अनैतिक व हिंसक हो जाते हैं। यहीं से विकृति प्रारम्भ होती है, और राष्ट्रहित के स्थान पर स्वहित दिखायी देने लगता है।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे बी0एड0 विभाग के प्राध्यापक आलोक दूबे ने कहा महात्मा गांधी कहा करते थे कि यदि किसी का ध्येय पवित्र है, तो उसको प्राप्त करने का उसका तरीका भी पवित्र होना चाहिए। इसी सिद्धांत पर चलते हुए गांधीजी अंग्रेजों को अहिंसक मार्ग से भगाना चाहते थे। आज न केवल भारत, बल्कि सम्पूर्ण विश्व में घरेलू समस्याओं को लेकर भी लोग हिंसा पर उतर जाते हैं। ऐसे में गांधी दर्शन स्वत: ही प्रासंगिक हो जाता है।
एन0सी0सी0 के आफिसर ले0 डाॅ0 राजेश कुमार यादव ने कहा कि गांधीवादी दर्शन आज के संकटग्रस्त वातावरण में शांति और अहिंसा की संस्कृति पैदा कर सकता है| जबकि पश्चिमी सभ्यताएं गांधीवादी दर्शन को अपने शैक्षिक पाठ्यक्रम के एक हिस्से के रूप में शामिल कर रही हैं, हम भारतीय “पश्चिमी संस्कृति” का अनुकरण करने के लिए उत्सुक हैं | जबकि हमें इस तथ्य पर गर्व होना चाहिए कि सबसे महान मानव जो कभी जीवित थे, वह हमारे राष्ट्रपिता है|

Responsive Ad Your Ad Alt Text

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Responsive Ad Your Ad Alt Text