Home » न्यायालय गाजीपुर दसकक्षीय सभागार में मॉ सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर किया गया हिंदी दिवस का आयोजन
Responsive Ad Your Ad Alt Text

न्यायालय गाजीपुर दसकक्षीय सभागार में मॉ सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर किया गया हिंदी दिवस का आयोजन

रिपोर्ट गुड्डू यादव
स्वतंत्र पत्रकार विजन

गाजीपुर – आज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, गाजीपुर के तत्वावधान में जनपद न्यायाधीश के निर्देशन में आज अपराह्न 01ः30 बजे जनपद न्यायालय गाजीपुर के दसकक्षीय सभागार में मॉ सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर “हिंदी दिवस” का आयोजन किया गया तथा किशोर न्याय बोर्ड, गाजीपुर में भी अपराह्न 03ः30 बजे “हिंदी दिवस” के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संजय कुमार- VII, जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, गाजीपुर द्वारा बताया गया कि भारत जैसे विशाल देश में अनेक भाषा, जाति, धर्म के लोग रहते है। इस देश के लोगो का रिश्ता एक राज्य से दूसे राज्य के साथ जुड़ा हुआ है जैसे व्यापार और संस्कृति के कारण हम सभी लोग एक दूसरे के साथ जुड़े हुए है और इसके साथ उन सभी के बीच सही प्रकार के व्यवहारिकता को कायम रखने के लिए एक ऐसी भाषा होनी चाहिए जो सबको समझ मे भी आये और सबको आसान भी हो। हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जो लिखने, बोलने तथा समझने में सरल भाषा है। हिंदी दिवस इसलिए मनाया जाता है कि हिंदी का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो तथा सम्मान हो, क्योंकि यही हमारी पहचान है और स्वाभिमान है। हिन्दी हमारे देश की संस्कृति एवं संस्कारों का प्रतिबिम्ब है तथा राष्ट्र की एकता, अखण्डता व बंधुत्व के लिए राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा की महानता होनी चाहिए तथा भाषा और संस्कृति को बनाये रखना हमारा कर्तव्य होना चाहिए।
संजय कुमार यादव- I, स्पेशल जज (ई0सी0 एक्ट) गाजीपुर द्वारा बताया गया कि 14 सितम्बर, 1949 को संविधान सभा द्वारा आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी (देवनागरी लिपि में लिखी गई) के अनुकूलन को चिन्हित करने के लिए हर साल 14 सितम्बर को मनाया जाता है।
राकेश कुमार VII, विशेष न्यायाधीश पॉक्सो/नोडल अधिकारी, लोक अदालत गाजीपुर द्वारा बताया गया कि इसका मुख्य उद्देश्य वर्ष में एक दिन इस बात से लोगों को रूबरू कराना है कि जब तक वे हिन्दी का उपयोग पूरी तरह से नही करेंगे तब तक हिन्दी भाषा का विकास नही हो सकता है। इस एक दिन सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिन्दी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
स्वप्न आनन्द, सिविल जज, (वरिष्ठ संवर्ग) गाजीपुर द्वारा हिन्दी के महत्व को विस्तार में समझाते हुए बताया कि भाषा एक विचार अभिव्यक्ति का माध्यम है। जैसा कि विदित है कि एक अबोध बालक की तरह जिस प्रकार से अपनी अभिव्यक्ति रख पाते है उसी प्रकार हम अपनी सम्पूर्ण भाव-भंगिमाओ को किसी के सम्मुख प्रस्तुत करते है।
दीपेन्द्र कुमार गुप्ता, सचिव पूर्णकालिक, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, गाजीपुर द्वारा बताया गया कि हिंदी देश की पहली और विश्व की ऐसी तीसरी भाषा है, जिसे सबसे ज्यादा बोला जाता है। भारत में 70 फीसदी से भी ज्यादा लोग हिंदी बोलते है। क्योंकि भाषा से विचारों का आदान-प्रदान होता है। भारत के हर प्रांत में बोली जाने वाली भाषाएं भिन्न-भिन्न होने पर भी आचार-विचार में समानता के कारण राष्ट्रीय एकता के लिए सहायक और पोषक बन गई है और अन्य वक्ताओं में हार्दिक सिंह, अपर सिविल जज (जू0डि0) कक्ष सं0-06, गाजीपुर, मोनी वर्मा, अपर सिविल जज (जू0डि0) कक्ष सं0-07, गाजीपुर, कृपाशंकर राय, जिला शासकीय अधिवक्ता, गाजीपुर, बृजभूषण श्रीवास्तव, गौतम द्विवेदी व राजन पाण्डेय के द्वारा भी हिन्दी के महत्व को बताते हुए अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर चन्द्र प्रकाश तिवारी, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कक्ष सं0-01, गाजीपुर, अलख कुमार, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/त्वरित न्यायालय कक्ष सं0-02, गाजीपुर, श्वेतांक चौहान, किशोर न्याय बोर्ड, गाजीपुर के न्यायिक दण्डाधिकारी, अन्य न्यायिक अधिकारीगण, रामअचल मौर्य, प्रभारी अधीक्षक, किशोर न्याय बोर्ड, गाजीपुर एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे।

Responsive Ad Your Ad Alt Text

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Responsive Ad Your Ad Alt Text