रिपोर्ट गुड्डू यादव
स्वतंत्र पत्रकार विजन
गाजीपुर निषाद पार्टी संजय कुमार निषाद एंड फैमिली की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी एंड लूट टीम है।राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ. लौटनराम निषाद ने निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद व सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर जाति आधारित पार्टी बनाकर अपने समाज को बेवकूफ बनाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।भोजन भरी थाली से सिर्फ संजय निषाद के परिवार का पेट भर रहा है,निषाद समाज तो सिर्फ लूट-पाट का शिकार हो रहा है।संजय निषाद के ऊपर गोरखपुर में पहले जो बात कही जाती थी कि “कोई ऐसा सगा नहीं,संजय ने जिसको ठगा नहीं” को आज भी चरितार्थ करते हुए प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना व मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के भोले भाले गरीब व अशिक्षित निषाद मछुआरों को झूठा सपना दिखाकर लूट खसोट की जा रही है। ऋण व अनुदान के नाम पर निषाद पार्टी द्वारा जिले जिले धनउगाही कराई जा रही है।उन्होंने कहा कि संजय निषाद व ओमप्रकाश राजभर भाजपा के रिमोट कंट्रोल से संचालित हो रहे हैं।सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पर टिप्पणी कर ये भाजपा की निगाह में अपना नम्बर बढ़ाकर सौदेबाजी करने में जुटे हुए हैं।उन्होंने संजय निषाद व ओमप्रकाश राजभर से पूछा है कि जिस निषाद व राजभर ने उन्हें नेता बनाया,उन्हें क्या दिए?दो चार विद्यार्थियों व गरीबों का नाम बता दो जिनकी पुस्तकीय व आर्थिक मदद ये बड़बोले नेता किये हों।
निषाद ने कहा कि संजय निषाद व ओमप्रकाश राजभर की सौदेबाजी व टिकट बिक्री से निषाद, राजभर समाज का राजनीतिक अवमूल्यन ही हुआ है।इन दोनों नेताओं ने विधानसभा के अंदर जनगणना की मांग पर भाजपा सरकार से माँग करने की बजाय भाजपा की चमचागिरी करते दिखे।संजय निषाद व ओमप्रकाश राजभर मदारी बनकर परिवारवादी काम कर रहे हैं।भाजपा द्वारा भिगोकर जूता मारने वाला अपमान दिए जाने के बाद भी ओमप्रकाश राजभर पुत्रमोह में भाजपा के राग में राग मिला रहे हैं।निषाद पार्टी व सुभासपा के प्रमुख पदाधिकारी संजय व ओमप्रकाश के परिवारी ही हैं।निषाद पर्टीब सुभासपा संजय और ओमप्रकाश राजभर की प्रा. लि.लूट कम्पनी है।उन्होंने 17 अतिपिछड़ी जातियों के आरक्षण के मुद्दे पर कहा कि संजय निषाद व ओमप्रकाश राजभर खुद नहीं चाहते कि इन अतिपिछड़ी जातियों के आरक्षण की समस्या का समाधान हो। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन के सवाल पर मऊ के रेलवे मैदान में अमित शाह के साथ मंच साझा करते हुए ओमप्रकाश राजभर ने एलान किया था कि 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिलाने के मुद्दे पर भाजपा से सुभासपा का गठबंधन हुआ है।परन्तु भाजपा की सरकार में मंत्री बनते ही राजभर गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए अनुसूचित जाति के आरक्षण मुद्दे पर चुप्पी साध लिए।उन्होंने कहा कि 2017 से तो भाजपा की डबल इंजन की सरकार है तो क्यों नहीं मझवार,तुरैहा, गोंड़,शिल्पकार, पासी तड़माली को परिभाषित कर मल्लाह, केवट,बिंद, धीवर, कहार,गोड़िया, रैकवार,कुम्हार,भर,
राजभर को एससी की सुविधा मिली और सामाजिक न्याय समिति की सिफारिश लागू हुई?उन्होंने ओमप्रकाश राजभर व संजय निषाद को बरसाती मेंढक व गिरगिट बताते हुए कहा कि निजस्वार्थ व सौदेबाजी के चक्कर में ये दोनों समाज के साथ गद्दारी कर रहे हैं।वर्तमान में ओमप्रकाश राजभर अपने बेटों को एमएलसी व अध्यक्ष बनवाने के लिए अमित शाह की गणेश परिक्रमा व भाजपा के राग में राग मिलाकर गर्दभी स्वराभ्यास कर रहे हैं।
लौटनराम निषाद ने जनगणना की मांग के मुद्दे पर संजय निषाद की सपा के ऊपर टिप्पणी को ओछी राजनीति व बन्धुआगिरी बताते हुए कहा कि संजय निषाद डबल इंजन की भाजपा सरकार से आरक्षण की विसंगतियों को क्यों नहीं दूर करा देते? उन्होंने संजय निषाद को कफनचोर नेता बताते हुए कहा कि साज़िश के तौर पर अपने ही आदमी से अखिलेश निषाद की हत्या कराकर उसके परिवार की मदद के नाम पर करोड़ों का चन्दा इकट्ठा कराकर स्वयं हड़प खाया।उन्होंने ओमप्रकाश राजभर व संजय निषाद द्वारा अखिलेश यादव के ऊपर यादवों को नौकरी देने के मुद्दे पर कहा कि टिकट बेचने वाले ये दोनों नेता समाज को झूठा सपना दिखाकर सिर्फ अपना घर भर रहे हैं।उन्होंने कहा कि सेना,पुलिस, पीएससी में भर्ती होने की यादवों में काबिलियत है।उन्होंने कहा कि यादवों की मेहनत से संजय व ओमप्रकाश अपने समाज की तुलना कर लें,यादव के बच्चे कम्पटीशन की तैयारी करते,दौड़ते,दंड बैठक,सपाटा करते मिलेंगे तो मल्लाह, केवट,बिंद, राजभर,नोनिया आदि अतिपिछड़ों के बच्चे ताश खेलते व मोबाइल में गाना सुनते मिलेंगे।इलाहाबाद, दिल्ली में जहाँ हजार यादव के बच्चे यूपीएससी, पीएससी,यूपीएसएसएससी, एसएससी आदि की तैयारी करते मिलेंगे तो निषाद, राजभर के 25,50 भी मिलना मुश्किल है।उन्होंने कहा कि अपनी गलतियों का दूसरे पर दोष मढ़ने की बजाय ये नेता अपनी गिरेबान में झांककर देंखे।उन्होंने अतिपिछड़ी जातियों के मुद्दे पर भाजपा व संजय निषाद, ओमप्रकाश राजभर से बहस की खुली चुनौती दिया है।ये दोनों नेता “सुपवा हंसे त हँसे, चलनियाँ भी हँसे, जिसमें बहत्तर छेद” वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।