*मृतक के भाई को भी माफिया बताकर आपराधिक इतिहास पुलिस ने जारी किया जिसमें दस मामलों में से आधे से भी ज्यादा महज आबकारी केस के
स्वतंत्र पत्रकार विजन
संवाददाता
लखीमपुर खीरी।
थाना मझगईं।एक थे रामचंद्र।निवास स्थान हुलासीपुरवा।कथित रूप से पुलिस पिटाई से उनकी मौत हुई।पत्नी और उनकी बहन को थप्पड़ मारकर जबरन उनका शव पुलिस द्वारा पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया।
मंगलवार को जब रामचंद्र की डेड बॉडी जिला मुख्यालय से वाया निघासन होते हुए मृतक के गांव जानी थी तो पूरा निघासन एकदम पुलिस छावनी के रूप में तब्दील था।शायद पुलिस को इस बात का अहसास था कि पुलिस से कुछ गलत हुआ है।लोग पुलिस की इस क्रिया की कहीं प्रतिक्रिया न कर दें।निघासन में ही कम से कम चार पांच सीओ की गाड़ियां घूम रहीं थीं।लगभग 4 बजे मृतक रामचन्द्र की डेड बॉडी को जिला झंडी रोड के बाईपास से पलिया रोड पर लाया गया।डेड बॉडी के साथ भी लगभग आधा दर्जन से भी ज्यादा पुलिस की गाड़ियों का काफिला।बम्हनपुर के पास आम जनमानस ने अपना विरोध जताया तो लाठी चार्ज।फिर वार्ता।वार्ता में भी पुलिस के ऐसे अधिकारी जो मौके की नजाकत को समझने के बजाय अपनी वर्दी की अकड़ में ज्यादा रहे।जिस जगह उन्हें संयम से काम लेना चाहिए था वहां भी वह धमकी भरे अंदाज में नजर आए।नतीजा यह रहा कि बात बिगड़ी और पीड़ित पक्ष ने शव का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया।बुधवार की सुबह इसी पुलिस ने मृतक के भाई दिनेश का आपराधिक इतिहास भी जारी कर वायरल करवा दिया।यह वही दिनेश था जो मंगलवार की पुलिस से हो रही वार्ता में शामिल था।लेकिन पुलिस ने जिन 10 केस को वायरल करवाकर मृतक के भाई दिनेश को माफिया साबित करने की कोशिश की उसमें आधे से भी ज्यादा केस महज आबकारी अधिनियम के थे।इससे पहले जिस मझगईं पुलिस पर रामचंद्र की हत्या का आरोप था,उसी पुलिस के थानाध्यक्ष दयाशंकर द्विवेदी का भी एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वह एक ट्रेक्टर चालक को धमकाते हुए नजर आ रहे हैं।कह रहे हैं कि गैंगेस्टर भी लगाऊंगा और धारा 307 भी।यही नहीं वह यह भी कह रहे हैं कि पूरे गांव पर मुकदमा लिखूंगा।जब मामला इतना नाजुक हो तो इस तरह के वक्तव्यों से बचना चाहिए था।लेकिन पुलिस तो आखिर पुलिस ही है,न।
चर्चा में रहा एक समझौता पत्र
इस पूरे घटनाक्रम के बाद एक समझौता पत्र भी बुधवार को सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ।पचास रुपये के स्टाम्प पेपर पर लिखे वायरल समझौता पत्र में मृतक के भाई दिनेश के ऊपर से गैंगेस्टर हटाने,मृतक के परिवार को सभी प्रशासनिक सहायता,बच्चों को मुख्यमंत्री योजना लाभ ,मृतक की पत्नी को सरकारी नौकरी में व्यवस्थित करने,परिवार को पांच लाख रुपये कृषक लाभ दिलाने और पुलिस द्वारा घर के ट्रेक्टर आदि वाहन को फंसाने के लिये जो बात कही गई थी,वह कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी।जैसी बहुत बड़ी – बड़ी बातें इस समझौता पत्र में लिखी गयी हैं।खास बात यह है कि इस वायरल समझौता पत्र में किसी जिम्मेदार पुलिस- प्रशासनिक अधिकारी या फिर किसी जनप्रतिनिधि के बजाय एक भाजपा पदाधिकारी के हस्ताक्षर बताए जा रहे हैं।