स्वतंत्र पत्रकार विजन
इक़बाल अहमद
जनपद गोरखपुर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर को प्रदेश के समस्त ऊर्जा निगमों के बिजली कर्मचारी और अभियंता को पूरे दिन काला फीता बांधकर काम किया। संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से अपील की है कि ग्रेटर नोएडा और आगरा में किए गए निजीकरण के विफल प्रयोगों की समीक्षा किए बिना प्रदेश में निजीकरण का कोई और प्रयोग न किया जाए। विद्युत कर्मियों ने कहा कि 01 अप्रैल 2010 को आगरा शहर की बिजली व्यवस्था टोरेन्ट पॉवर को सौंपी गई थी। निजीकरण के करार के अनुसार पावर कारपोरेशन टोरेन्ट पॉवर को बिजली देता है। वर्ष 2023-24 में पावर कारपोरेशन ने 4.36 रूपये प्रति यूनिट की दर से टोरेन्ट पॉवर को 2300 मिलियन यूनिट बिजली दी। पॉवर कारपोरेशन ने यह बिजली रूपये 5.55 रूपये प्रति यूनिट की दर से खरीदी थी। इस प्रकार पॉवर कारपोरेशन को वित्तीय वर्ष 2023-24 में लगभग 275 करोड़ रूपये की क्षति हुई। 14 वर्षों में निजीकरण के इस प्रयोग से पॉवर कारपोरेशन को 2434 करोड़ रूपये की क्षति हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि आगरा लेदर कैपिटल है, एशिया का सबसे बड़ा चमड़ा उद्योग है और पर्यटन का केन्द्र होने के नाते सबसे अधिक पांच सितारा होटल आगरा में ही है। यदि आगरा शहर की बिजली व्यवस्था पावर कारपोरेशन के पास बनी रहती तो पॉवर कार्पोरेशन को आज आगरा से 8 रूपये प्रति यूनिट से अधिक का राजस्व मिलता ग्रेटर नोएडा में करार के अनुसार निजी कम्पनी को अपना विद्युत उत्पादन गृह स्थापित करना था जिसे उसने आज तक नहीं बनाया है। ग्रेटर नोएडा में इंडस्ट्रियल और कॉमर्शियल लोड 85 प्रतिशत है। इस प्रकार भारी कमाई का क्षेत्र निजी हाथों में चला गया है जिससे पॉवर कारपोरेशन को बड़ी आर्थिक क्षति हो रही है। ग्रेटर नोएडा में निजी कम्पनी किसानों को मुफ्त बिजली नहीं दे रही है। इसके अतिरिक्त घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली देने में भी निजी कम्पनी की रूचि नहीं है। इससे उपभोक्ताओं को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री से अपील की है कि वे प्रभावी हस्तक्षेप करें जिससे पावर कारपोरेशन प्रबन्धन के निजीकरण के एकतरफा फैसले को कर्मचारियों के व्यापक हित में निरस्त किया जाए।