स्वतंत्र पत्रकार विज़न
गुड्डू यादव
गाजीपुर । उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के एटीएस सैदपुर स्कूल ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। सीमित संसाधनों और तकनीकी सुविधाओं की कमी के बावजूद, स्कूल ने छात्रों को डिजिटल युग से जोड़ने के लिए जो प्रयास किए, वे आज प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं। प्रधानाचार्य वंदना और प्रशिक्षित शिक्षिका प्रियंका के नेतृत्व में, 2022 में बेब्रास चौलेंज जैसे वैश्विक तकनीकी कार्यक्रम को केवल एक मोबाइल फोन और सीमित डेटा का उपयोग करके आयोजित किया गया। बिजली और वाई-फाई की कमी के बावजूद, छात्रों ने रात में परीक्षा देकर तकनीकी शिक्षा के प्रति अपनी लगन और उत्साह का प्रदर्शन किया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शिक्षा को प्राथमिकता देने और बच्चों के समग्र विकास की सोच ने इस बदलाव को संभव बनाया। उनकी सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को लागू किया गया है। समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण की पहल ने भी ग्रामीण इलाकों के छात्रों को तकनीकी रूप से सशक्त करने में अहम भूमिका निभाई। यूपी समाज कल्याण विभाग की मदद से स्कूल में वाई-फाई और टैबलेट जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं, जिससे छात्रों को आधुनिक तकनीकी प्लेटफॉर्म पर सीखने का मौका मिला। सिर्फ दो वर्षों में स्कूल ने डिजिटल युग में छलांग लगाई। छात्रों के साथ-साथ, शिक्षकों ने भी इस बदलाव को आत्मसात किया। जिन शिक्षकों को पहले एक्सेल जैसे सॉफ़्टवेयर का ज्ञान नहीं था, उन्होंने यूट्यूब और अन्य संसाधनों के माध्यम से इसे सीखा। आज ये शिक्षक न केवल डिजिटल रूप से सशक्त हैं, बल्कि छात्रों के लिए भी प्रेरणा बन गए हैं।
यह सफलता टीसीएस Ignite My Future कार्यक्रम, यूपी सरकार और स्थानीय नेतृत्व के आपसी समन्वय का नतीजा है। छात्रों को पहली बार टैबलेट का उपयोग करते देखना न केवल उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है, बल्कि यह ग्रामीण शिक्षा के लिए एक नई दिशा भी निर्धारित करता है।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में लाए जा रहे इस तरह के बदलाव यह साबित करते हैं कि अगर सही दृष्टिकोण और नीति बनाई जाए, तो सीमित संसाधनों के बावजूद डिजिटल क्रांति को गांवों तक पहुंचाया जा सकता है। एटीएस सैदपुर स्कूल की यह सफलता पूरे राज्य के विद्यालयों के लिए एक प्रेरणा है।
बेब्रास प्रतियोगिता एक नजर में
बेब्रास एक अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटेशनल थिंकिंग चौलेंज है या कहें कि बच्चों के बौद्धिक विकास का मार्ग है। जिसमें 60 से अधिक देशों के 6-18 आयु वर्ग के छात्र भाग लेते हैं। यह प्रतियोगिता कंप्यूटर विज्ञान और तार्किक सोच को बढ़ावा देने का एक अनूठा मंच प्रदान करती है। इसमें छात्रों की तार्किक क्षमता, समस्या सुलझाने के कौशल और रचनात्मक सोच का आकलन किया जाता है। यह चौलेंज पूरी तरह निःशुल्क है और कक्षा 3 से 12 तक के छात्रों के लिए आयोजित किया जाता है। प्रतियोगिता में तीन स्तर (ए0बी0सी0) होते हैं, जिनमें 15 प्रश्न होते हैं और इनका हल निकालने के लिए 45 मिनट का समय दिया जाता है। ये प्रश्न मनोरंजक और व्यावहारिक होते हैं, जिन्हें हल करने के लिए कंप्यूटर विज्ञान का पूर्व ज्ञान आवश्यक नहीं होता। प्रतियोगिता का उद्देश्य छात्रों में कंप्यूटर विज्ञान के प्रति रुचि जाग्रत करना, उनकी तार्किक सोच को बढ़ावा देना और उन्हें तकनीकी कौशल से परिचित कराना है। बेब्रास चौलेंज बच्चों को विभिन्न भाषाओं, जैसे हिंदी, अंग्रेजी, मराठी और गुजराती, में उपलब्ध कराया जाता है, जिससे इसे अधिक समावेशी बनाया गया है।
इस प्रतियोगिता से छात्रों में आत्मविश्वास की भावना विकसित होती है। इसके माध्यम से वे कंप्यूटर और प्रौद्योगिकी से जुड़ी जटिल समस्याओं को सरलता से हल करना सीखते हैं। साथ ही, यह प्रतियोगिता उनके बौद्धिक और तार्किक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सफल प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र और पुरस्कार देकर उनकी उपलब्धियों को सराहा जाता है। बेब्रास प्रतियोगिता बच्चों को वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने और सीखने का एक शानदार अवसर प्रदान करती है। (टीसीएस) I कार्यक्रम, यूपी सरकार और स्थानीय नेतृत्व के आपसी समन्वय का नतीजा है। छात्रों को पहली बार टैबलेट का उपयोग करते देखना न केवल उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है, बल्कि यह ग्रामीण शिक्षा के लिए एक नई दिशा भी निर्धारित करता है।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में लाए जा रहे इस तरह के बदलाव यह साबित करते हैं कि अगर सही दृष्टिकोण और नीति बनाई जाए, तो सीमित संसाधनों के बावजूद डिजिटल क्रांति को गांवों तक पहुंचाया जा सकता है। एटीएस सैदपुर स्कूल की यह सफलता पूरे राज्य के विद्यालयों के लिए एक प्रेरणा है।
बेब्रास प्रतियोगिता एक नजर में
बेब्रास एक अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटेशनल थिंकिंग चौलेंज है या कहें कि बच्चों के बौद्धिक विकास का मार्ग है। जिसमें 60 से अधिक देशों के 6-18 आयु वर्ग के छात्र भाग लेते हैं। यह प्रतियोगिता कंप्यूटर विज्ञान और तार्किक सोच को बढ़ावा देने का एक अनूठा मंच प्रदान करती है। इसमें छात्रों की तार्किक क्षमता, समस्या सुलझाने के कौशल और रचनात्मक सोच का आकलन किया जाता है। यह चौलेंज पूरी तरह निःशुल्क है और कक्षा 3 से 12 तक के छात्रों के लिए आयोजित किया जाता है। प्रतियोगिता में तीन स्तर (ए0बी0सी0) होते हैं, जिनमें 15 प्रश्न होते हैं और इनका हल निकालने के लिए 45 मिनट का समय दिया जाता है। ये प्रश्न मनोरंजक और व्यावहारिक होते हैं, जिन्हें हल करने के लिए कंप्यूटर विज्ञान का पूर्व ज्ञान आवश्यक नहीं होता। प्रतियोगिता का उद्देश्य छात्रों में कंप्यूटर विज्ञान के प्रति रुचि जाग्रत करना, उनकी तार्किक सोच को बढ़ावा देना और उन्हें तकनीकी कौशल से परिचित कराना है। बेब्रास चौलेंज बच्चों को विभिन्न भाषाओं, जैसे हिंदी, अंग्रेजी, मराठी और गुजराती, में उपलब्ध कराया जाता है, जिससे इसे अधिक समावेशी बनाया गया है।
इस प्रतियोगिता से छात्रों में आत्मविश्वास की भावना विकसित होती है। इसके माध्यम से वे कंप्यूटर और प्रौद्योगिकी से जुड़ी जटिल समस्याओं को सरलता से हल करना सीखते हैं। साथ ही, यह प्रतियोगिता उनके बौद्धिक और तार्किक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सफल प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र और पुरस्कार देकर उनकी उपलब्धियों को सराहा जाता है। बेब्रास प्रतियोगिता बच्चों को वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने और सीखने का एक शानदार अवसर प्रदान करती है।