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श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में सुखदेव जी के जन्म का हुआ वर्णन

करंजही में चल रही श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का तृतीय दिवस

बेलीपार गोरखपुर
क्षेत्र में स्थित ग्राम करंजही में अयोजित नौदिवदीय भागवत ज्ञान यज्ञ अवध धाम से पधारे कथा व्यास ने श्रीमद् भागवत की अमर कथा व सुखदेव जी के जन्म का विस्तार से वर्णन किया। भागवत कथा प्रारंभ से पूर्व राधे-राधे श्री राधे के नाम से पूरा पंडाल गूंजता रहा। आचार्य विष्णुदयाल ने कथा ब्यास सुखदेव जी के जन्म का विस्तार से वर्णन करते हुऐ कहा कि कैसे श्री कृष्ण सुखदेव महाराज को धरती पर भेजे भागवत कथा ज्ञान करने को ताकि कलयुग के लोगों का कल्याण हो सके। रास्ते में कैलाश पर्वत पर उन्होंने चुपके से भगवान शिव की ओर से मां पार्वती को सुनाई जा रही भागवत कथा सुन ली। इससे शिव नाराज होकर उन्हें मारने दौड़े। साथ ही राजा परीक्षित को श्राप लगने का प्रसंग सुनाया गया। कहा कि राजा परीक्षित की मृत्यु सातवें दिन सर्प दंश से होनी थी। जिस व्यक्ति को यहां पता चल जाए कि उसकी मृत्यु सातवें दिन होगी, वह क्या करेगा, क्या सोचेगा। राजा परीक्षित यह जानकर अपना महल छोड़ दिए। महाराज ने बताया कि श्रीकृष्ण की ओर से राजा परीक्षित को दिए गए श्राप से मुक्ति के लिए उन्हें भाई सुखदेव से मिलने की कथा सुनाई। कहा कि भागवत कथा का श्रवण आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाता है। संसार में जितने भी प्राणी हैं। सभी परिचित हैं सब की मृत्यु एक ना एक दिन होनी तय है और जो मनुष्य एक बार श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कर ले और उसे सुनकर जीवन में उतार ले तो उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।
इस अवसर पर मुख्य यजमान मार्कण्डेय प्रसाद,सौहार्द शिरोमणि संत डा सौरभ , शिवाकांत त्रिपाठी, रामकांत त्रिपाठी, संदीप शुक्ला, राजेश शुक्ला, आयोजक गण क्रमशः सुधीर शुक्ला, अजय शुक्ला, विजय शुक्ला विनय शुक्ला श्री प्रकाश शुक्ला, शुभांकर शुक्ला आदि श्रद्धालु गण उपस्थित थे।

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