स्वतंत्र पत्रकार विजन
अंगद यादव
गाजीपुर। जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने जनपद के समस्त किसान भाईयों को सूचित किया है कि फसलो को प्रतिवर्ष खरपतवारों, रोगो तथा चूहो से अनुमानतः 15 से 20 प्रति0 क्षति होती है। खरपतवारों के बाद सबसे अधिक क्षति रोगो से होती है। कभी-कभी रोग महामारी का रूप ले लेते हैं और शत-प्रतिशत फसल नष्ट हो जाती है। फसलो में रोग बीज, मृदा, वायु, जल एवं कीटो के द्वारा फैलते है। बीज जनित/ भूमि जनित रोगो से बचाव हेतु रबी 2024-25 में बोई जाने वाली फसलों में बीजशोधन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। बीजशोधन द्वारा फसलो को रोगो से सुरक्षित कर अधिक पैदावार ली जा सकती है। जिससे कृषको की आय दोगुनी करने व उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी। बीजशोधन के प्रति कृषकों में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से रबी 2024-25 की प्रमुख फसलो में शत-प्रतिशत बीजशोधन कराने हेतु दिनांक 16. अक्टूबर से 15. नवंबर तक इस कार्य को अभियान के रूप में चलाया जा रहा है। इसके अन्तर्गत कृषकों को बीजशोधन के महत्व की जानकारी देकर प्रशिक्षित किया जायेगा तथा बीजशोधक रसायनों की जानकारी दी जायेगी। किसान भाई रबी में मुख्यतः गेहूं के अलावा दलहनी फसलों मे चना, मटर एवं मसूर तथा तिलहनी फसलो में राई/सरसों की खेती करते है। दलहनी फसलो मे चना एवं मटर में बीजजनित रोगो से बचाव के लिये थीरम 75 प्रति0 डब्ल्यू0पी0 2.5 ग्राम या मैकोजेब 75 प्रति0 डब्ल्यू0पी0 3 ग्राम या ट्राइकोडर्मा 4 ग्राम अथवा थीरम 75 प्रति0 डब्ल्यू0पी0 2 ग्राम़ कार्बेन्डाजिम 50 प्रति0 डब्ल्यू0पी0 की 1 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज की दर से बीज बोने से पूर्व शोधित करना चाहिए बीजशोधन कल्चर द्वारा बीज उपचारित करने से पूर्व करना चाहिए। एक पैकेट (200 ग्राम) राईजोबियम कल्चर से 10 किग्रा चना अथवा मटर का बीज उपचारित किया जाता है। राई/सरसो के बीज शोधन के लिए थीरम 75 प्रति0 डब्ल्यू0पी0 2.5 ग्राम/किग्रा बीज की दर से उपचारित करते है। राई/सरसों में गेरूई एवं तुलाशिता रोग के बचाव के लिए मैटालाक्सिल 1.5 ग्राम/ किग्रा बीज की दर से बीज को उपचारित करना चाहिए। गेहूं की फसल में अनेक प्रकार के बीज जनित रोग जैसे अनावृत, कण्डुआ, करनालबन्ट आदि का प्रकोप होता है। इनकी रोगथाम के लिए ट्राइकोडर्मा 4 ग्राम, कार्बोक्सिन 2ग्राम, थीरम 2.5 ग्राम प्रति0 किग्रा बीज की दर से अथवा थीरम 75 प्रति0 डब्ल्यू0पी0 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम 50 प्रति0 डब्ल्यू0पी0 की 1 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज की दर से बीज बोने से पूर्व शोधित करना चाहिए।