स्वतंत्र पत्रकार विज़न
गुड्डू यादव
गाजीपुर। आज के भौतिक और वैज्ञानिक युग में सती, पूजा पाठ, चमत्कार, झाड़ फुक आदि को लोग नही मानते है लेकिन कभी कभी इस कलयुग में भी ऐसे बहुत सारे चमत्कार होते हैं जो वैज्ञानिक और विद्वान को भी सोचने पर मजबूर कर देता है ऐसा ही एक स्थान ग़ाज़ीपुर में है ‘अमवा सिंह’।
यहाँ पर सती माता का मंदिर है और यहाँ पर सर्प दंश के पीड़ित व्यक्ति लाने पर और सती माता का जयकारा लगाने पर बिना झाड़ फुक किये ठीक हो जाते है।
सती माता के सती होने कुछ दिन बाद ही पड़ोस के गाँव के एक युवक को सर्प डस लिया बहुत झाड़ फुक हुवा लेकिन सर्प का जहर/विष नहीं उतरा तब तक वहाँ सती माता वाली वरदान का चर्चा कोई किया फिर वहाँ के लोग सती माता वाले स्थान पे ले आये और सती माता की जयकार लगाने लगे थोड़ी ही देर में विष/जहर उतर गया और वह उठ कर बैठ गया।।
धीरे धीरे ऐसे बहुत सारी घटना हुई जिससे सती माता की महिमा दूर दूर तक फ़ैल गयी और लोग सर्प के उपचार के लिए महुवा के पेड़ के निचे सती चौरा पे आने लगे। अमवा सिंह गाँव के लोग सती माता को कुल देवी मानते है. यहाँ शुक्रवार और सोमवार को श्रद्धालुवो की भारी भीड़ लगाती है।
सती माता के पति का नाम परमल सिंह बताया जाता है लेकिन यह कितना सही है इसकी पुष्टि कोई न कर सका। वहाँ के लोगों का मानना है क़ि सती माता का मायका बलिया जिला के दौलतपुर गाव में था। सती माता लगभग 400 वर्ष पहले सती हुई थी और तब से उस गाँव मे उनकी पूजा होती आ रही है।
एक जनश्रुति के अनुसार अभी सती माई की शादी के सवा महीना हुआ था। एक दिन उनके पति खेतो में काम करने जा रहे थे तभी उनको एक विषैला सर्प दिखाई दिया। उन्होंने अपने लाठी से सर्प पे प्रहार कर दिया लेकिन सर्प बच गया और कही छिप गया। अगले दिन जब वह खेत में जा रहे थे तभी वो सांप निकला और उन्हें काट लिया जिससे उनकी मौत हो गयी। उनको इस हालत में देख कर लोग उनकी लाश अमवा सिंह गाँव ले आएं। उस समय वो गाँव चारो तरफ से बरसात के पानी से घिरा हुआ था। जब ये बात सती माता को पता चली तो ओ अपना होश खो बैठी और विलाप करने लगी और दौड़ते हुए अपने पति के लाश के पास पहुंच गयी और उनको अपने गोद में लेकर कर विलाप करने लगी। उसी समय सती माता ने पति के साथ सती होने के लिए संकल्प ले लिया और सारे श्रृंगार कर के अपने पति के साथ ही सती हो गयी और उन्होंने वरदान दिया कि इस क्षेत्र को सर्प दंश के शिकार लोग मेरे पास आएंगे तो चाहे कितने ही विषैले सांप ने क्यों न डसा हो वो ठीक हो जाएंगे।
बस शर्त यह रहती है कि वहाँ जाने से पूर्व कोई झाड़ फूंक न कराया गया हो।
अमवां के सती मां का महिमा अपरम्पार है
सती मां के दरबार जाने के लिए गाजीपुर से कासिमाबाद मार्ग से बरेसर के रास्ते ढोटारी चट्टी से जाना होता है।
मोहम्मदाबाद से अलावलपुर जहुराबाद के रास्ते बरेसर ढोटारी चट्टी से जाना पड़ता है।
उधर रसड़ा मार्ग से तिराहीपुर के रास्ते जाना पड़ता है।