स्वयं शाही
स्वतंत्र पत्रकार विज़न
जनपद गोरखपुर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) गोरखपुर में मंगलवार को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर एम्स के कार्यकारी निदेशक और सीईओ डॉ जी के पाल ने सन्देश दिया कि मानसिक रोग और उससे प्रेरित होकर आत्महत्या करना हमारे समाज की एक गंभीर समस्या बन चुकी है। खासकर विद्यार्थियों में आजकल यह समस्या और तेजी से बढ़ रही है इस समस्या की रोकथाम के लिए हम सभी शिक्षकों को आगे आना चाहिए, छात्रों से उन केबारे में बात करनी चाहिए और मानसिक रोग और उनसे होने वाले समस्याओं के बारे में चर्चा करनी चाहिए कार्यक्रम में डीन एकेडमिक्स महिमा मित्तल ने बताया कि हमारे रोज की दिनचर्या इस तरीके से व्यस्त हो गई है कि हम लोग अपने खुद के लिए समय नहीं निकाल पातेहैं और हम कुछ समय बाद पाते हैं कि हमारा जो मानसिक लेवल है वह कमजोर होता जा रहा हैऔर यही कमजोरी मानसिकता लोगों को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने बताया कि बड़ो के साथ साथ आज बच्चों की मनोदशा भी बिगड़ती जा रही है। डीन रिसर्च सीएफएम विभागाध्यक्ष डॉ श्री हरी शंकर जोशी ने मनोविकार किस प्रकार से किन पर हावी होता हैं उसके बचाव के बारे में जागरूक किया मनोरोग रोग विभाग की डॉ रिचा ने बताया कि एम्स गोरखपुर के अस्पताल में इस तरीके के मरीज निमित्त तौर पर आते हैं हम लोग उनको काउंसलिंग देते हैं जरूरत पड़ने पर उनके परिवार के लोगों का सहारा लेते हैं और जरूरत के अनुसार उनका दवाइयों का परामर्श देते हैं। कार्यक्रम में डॉ अनिल कोपरकर, डॉ राम शंकर रथ, डॉ प्रदीप खरया, डॉ अबू बशर, विभिन्न विभागों के अन्य चिकित्सक, सोशल वर्कर अनूप दुबे आदि उपस्थित थे।तत्पश्चात् एमबीबीएस के छात्र छात्राओं के द्वारा एक नाटक प्रस्तुति के माध्यम से जागरूकता हेतु प्रस्तुति की गई जिसमे एक गरीब किसान जो अपने परिवार की जरूरत को पूरा करता है अचानक किसी कारण से फिर उसकी मनोवृत्ति बदल जाती है और फिर उसके द्वारा आत्महत्या का गलत कदम उठाया जाता है,लेकिन उसके दोस्तो के द्वारा समय पर इसका इलाज मनोरोग चिकित्सक से करवा कर उसे बचा लिया जाता है।इसके बाद कई मरीजों और उनके साथ आये हुए लोगो ने इसके बचाव के बारे में अन्य जानकारी भी ली। अंत में मनोरोग रोग विभाग के डॉ सामंत ने सभी उपस्थित लोगों को काउंसलिंग के महत्त्व के बारे में बताया।