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भागवत कथा से धुंधकारी को मोक्ष प्राप्त हुआ : साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया

गणपति महोत्सव पर आयोजित श्रीमद भागवत कथा का दूसरा दिवस

गिरीश नारायन शर्मा

बेलीपार गोरखपुर

जय गणेश मित्र मंडल द्वारा श्री गणेश महोत्सव पर भस्मा में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर आठ वर्षीय कथा वाचिका साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया ने आत्म देव, धुंधली और धुंधकारी की कथा को विस्तार से सुनाया। उन्होंने बताया कि आत्मदेव जोकि एक वेद पाठी ब्राह्मण थे, बड़े ही विद्वान थे, लेकिन उनके यहां कोई पुत्र नहीं था। वह ग्लानि से भरे हुए एक दिन जंगल में जा पहुंचे। वहां उन्हें एक साधु के दर्शन हुए। साधु ने उन्हें एक फल दिया। आत्मदेव की पत्नी धुंधली ने वह फल अपनी गाय को खिला दिया। कुछ समय बाद गाय ने एक बच्चे को जन्म दिया। उसका पूरा शरीर मनुष्य का था, केवल कान गाय के थे जिसका नाम गोकर्ण रखा गया। एक धुंधली का पुत्र जोकि उसकी बहन का था, का नाम धुंधकारी रखा गया।साध्वी माधव प्रिया बताया कि साधु के आशीर्वाद से जो पुत्र हुआ वह ज्ञानी धर्मात्मा हुआ और धुंधकारी दुराचारी, व्यभिचारी निकला। व्यसन में पड़कर चोरी करने लगा। एक दिन लोभ में आकर इसकी हत्या कर दी। बाद में यह प्रेत बना, जिसकी मुक्ति के लिए गोकर्ण महाराज जी ने भागवत कथा का आयोजन किया। भागवत कथा सुनकर धुंधकारी को मोक्ष की प्राप्ति और प्रेत योनि से मुक्ति मिली। साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया के भजनों पर श्रद्धालु गण झूमते रहे।
इस दौरान साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया ने मंगलाचरण, शुकदेव जन्म आदि कथाओं का वर्णन किया।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से डा सौरभ ,बृजेश मणि त्रिपाठी, डा विनय श्रीवास्तव,गौतम पाण्डेय,रत्नाकर त्रिपाठी,दीपक पाण्डेय, डा रागिनी पाण्डेय,सुभाष पाण्डेय, नवनीत पाण्डेय सोनू पाण्डेय,लक्ष्मी शंकर, शशि शेखर पाण्डेय,बाल भक्त सौराष्ट्र,रवि दुबे, आदि श्रद्धालुओ ने भागवत कथा रस का पान किया।

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