स्वतंत्र पत्रकार विज़न
गुड्डू यादव
गाजीपुर। शिक्षक दिवस के अवसर पर पी० जी० कॉलेज, गाजीपुर में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस अवसर पर सेवानिवृत्ति भूगोल विभाग के प्राध्यापक डॉ. सुनील कुमार शाही, शारीरिक शिक्षा विभाग के श्री रमेश प्रसाद सिंह एवं उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद से प्रोजेक्ट प्राप्त करने वाले गणित विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० हरेन्द्र सिंह का अभिनंदन कर स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।
अभिनंदन समारोह में मुख्य वक्ता के तौर पर कुलानुशासक डॉ० एस० डी० सिंह परिहार, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ० बद्रीनाथ सिंह रहे। इसके अलावा डॉक्टर समरेंद्र नारायण मिश्रा, डॉक्टर जी सिंह, डॉक्टर हरेंद्र सिंह ने शिक्षक दिवस के अवसर पर आज के दिन के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। गणित विभाग के डॉक्टर प्रतिमा सिंह ने महिला शिक्षकों की ओर से इस दिवस के महत्व को रेखांकित किया।
अपने उद्बोधन में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने बताया कि वह पी० जी० कॉलेज में ही पहले शिक्षक थे। बाद में वह इसी कॉलेज में प्राचार्य बने। जब 2003 में वह शिक्षक के तौर पर इस कॉलेज में आए थे। तब से उनकी मनसा थी कि शिक्षक दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया जाए। जब वह इस महाविद्यालय के प्राचार्य हुए हैं, तब से नियमित रूप से महाविद्यालय में शिक्षक दिवस को मनाया जा रहा है। प्रोफेसर पाण्डेय ने कहा कि किसी भी समाज में शिक्षक की भूमिका को नजरअंदाज कर एक शिष्ट समाज की परिकल्पना नहीं की जा सकती। शिक्षक राष्ट्र का निर्माता व समाज का मार्गदर्शक होता है। शिक्षण का कार्य एक पुनित कार्य है, जिसके माध्यम से देश के कर्णधार छात्र – छात्राओं के माध्यम से देश को एक दिशा प्रदान करता है। देश को विकास एवं तकनीकी के क्षेत्र में समृद्धि प्रदान करने में शिक्षक की ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। देश के महान शिक्षकों में से एक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर 5 सितंबर को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षक दिवस ममाने की शुरुआत 5 सितंबर 1962 से की गई थी। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के पहले उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति रहे।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापकों, कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं की बड़ी संख्या में मौजूदगी रही। कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के अध्यक्ष, प्रोफेसर विनय कुमार दुबे एवं आभार डॉ० संजय चतुर्वेदी ने व्यक्त किया।