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उच्च शिक्षा पर खतरे और अन्यायपूर्ण भेदभाव के खिलाफ महामहिम राष्ट्रपति के नाम जिलाधिकारी को सौंपा गया ज्ञापन

संवाददाता
स्वतंत्र पत्रकार विजन

गाजीपुर। विश्वविद्यालय किसी भी देश और समाज की बुनियाद होते हैं विश्वविद्यालय को किसी भी एक विचारधारा सरकार जाति धर्म भाषा क्षेत्र का न होकर सभी का होना होता है विश्वविद्यालय का विश्व इन्हें वैश्विक ज्ञान विज्ञान अनुसंधान विमर्श संवाद का केंद्र बनाता है। भारत के संविधान की प्रस्तावना के मूल न्याय क्समता बंधुता के मूल्य पर ही उच्च शिक्षा का वजुद होना चाहिए मगर मौजूदा दौर में उच्च शिक्षा के केंद्र इन विश्वविद्यालयों पर कई तरह के खतरे आन पड़े हैं हम भारत के नागरिक इन खतरों की तरफ आपका ध्यान आकृष्ट कराते हुए मांग करना चाहते हैं।
देश भर के विश्वविद्यालय पर एक विचारधारा को थोपा जा रहा है जिससे उच्च शिक्षा का स्वायत्त निष्पक्ष तटस्थ समावेशी व संविधान पर आधारित चरित्र नष्ट हो रहा है।विश्वविद्यालय में प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया बेहद भेदभाव कार्य पारदर्शी और भ्रष्टाचारी है जिसके चलते वास्तविक प्रतिभा का हनन हो रहा है कम प्रतिभावान लोगों के हाथों विद्यार्थियों का भविष्य संकट में है बिहार उत्तर प्रदेश में नियुक्ति प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी एवं न्याय प्रिय है योग्यता को परखने की पात्रता अर्थहीन है इसलिए नियुक्ति प्रक्रिया तत्काल बदली जाये।
केंद्रीय विश्वविद्यालय के भीतर हर स्तर पर जातिगत लैंगिक और अन्य कई किस्म के शोषण व भेदभाव वस्तुर जारी है जिसके चलते देश भर के विश्वविद्यालय से वंचित शोषित जमात के विद्यार्थियों सुधार्थियों और प्रोफेसर के साथ अनवरत अन्याय हो रहा है। सरकार एक विचारधारा विशेष के प्रभाव में पाठ्यक्रम बदले जा रहे हैं पीएचडी एडमिशन तक में घर दादरी की जा रही है विद्यार्थियों की सीटों व फैलोशिप में कटौती हो रही है फीस बताशा बढ़ाई जा रही है उच्च शिक्षा का क्रमिक निजीकरण किया जा रहा है। अभी हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय से तकरीबन 1000 से ज्यादा बेहद प्रतिभावान अनुभवी शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया गया है जो बेहद आपत्तिजनक है।
शिक्षकों को ठेके पर रखकर विश्व गुरु बनाने का ख्वाब देखा जा रहा है जो बेहद खतरनाक है छात्र शिक्षक अनुपात के वैश्विक मानक के तहत सभी पदों पर स्थाई नियुक्ति हो।
भारत के सभी नागरिक उक्त तमाम विषयों को लेकर बेहद चिंतित है और इसे लेकर आपसे निवेदन करना चाहते हैं कि तत्काल आप कुछ ठोस कदम उठाए और उसे शिक्षा को बचाए महामहिम सभी केंद्रीय विद्यालयों की कल कुलाधिपति भी है और भारत की प्रथम नागरिक भी भारत के हम आम नागरिक आपसे गुजारिश करते हैं कि यदि उच्च शिक्षा किसी सरकार या किसी एक विचारधारा की ग्रस्त में चली जाएगी तो यह पूरे समाज और देश का नुकसान होगा हम आपसे गुजरी करते हैं कि आप इस बेहद गंभीर मसले को गंभीरता से ले।

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