रिपोर्ट कमलेश कुमार स्वतंत्र पत्रकार विजन
_वाराणसी शरीर जल से मन सत्य से,बुद्धि ज्ञान से तथा आत्मा धर्म से पवित्रता धारण करती है।गुरूवार को केदारघाट के बगल में शंकराचार्य घाट स्थित श्री विद्यामठ में अध्यनरत वैदिक विद्यार्थियों को योग की बारीकियों से परिचित करवाते हुएं योगाचार्य स्वामी हर्षानंद ने बताया कि योग प्रकृति की दिव्यता से जुड़ने की कला का नाम है।अगर हम प्रकृति के ताने बाने को नही समझेगें तो आने वाले दस वर्षों में भारत में एक स्वस्थ बच्चा खोजना मुश्किल हो जाएगा।
इस समय भारत में पंसारी की दूकान से ज्यादा दवाई की दूकानें खुल चुकी है यह चिंता का नही चिंतन का विषय है।ताकि हम देश की भावी नस्लों को शारीरिक तथा मानसिक स्तर पर मजबूत बना सके।योगाचार्य ने बच्चों को वृक्षासन का अभ्यास करवाने के साथ साथ जल जूठा नही छोड़ने तथा अपने जन्म दिवस पर एक पौधा लगाने का संकल्प भी करवाया।तथा कहा कि प्रकृति की बगिया को गुलजार रखना हम सब का नैतिक कर्तव्य है।
उल्लेखनीय है कि परमाराध्य परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने बच्चों का आई क्यू लेवल बढ़ाने की यह अनूठी योगशाला प्रारंभ करवाई है।शंकराचार्य जी महाराज कहते है किसी भी राष्ट्र की बहुमुल्य सम्पदा उस राष्ट्र के बच्चे ही होते है।बच्चों को कर्तव्य तथा अधिकार के मध्य संतुलन बनाना सीखाना यही हमारा धर्म है।ऐसा करके हम भारत को दुनिया का सबसे समृद्ध तथा खुशहाल देश बना सकते है।
उक्त जानकारी परमाराध्य परमधर्मशीष ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य जी महाराज के मीडिया प्रभारी ने दी है