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कार्तिक पूर्णिमा के मेले मे प्रशासन अलर्टकरमैनी मेले मे घाटो का किया गया निरीक्षण

श्रद्धालुओं ने राप्ती मे लगाई डुबकी किया दीपदान*

रिपोर्ट – चंद्रशेखर यादव मेहदावल संत कबीर नगर

संत कबीर नगर
मेहदावल
कार्तिक पूर्णिमा के मेले मे उपजिलाधिकारी एवं क्षेत्राधिकारी ने करमैनी मेले मे किया निरीक्षण श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की न होने पाए समस्या जिसको लेकर सोमवार को सुबह से ही अधिकारियों का भ्रमण होता रहा।
मेहदावल तहसील क्षेत्र के बनकसिया चौकी क्षेत्र के अन्तर्गत गोरखपुर और संत कबीर नगर के बार्डर के करमैनी घाट पर उप जिलाधिकारी मेहदावल अरूण कुमार एवं क्षेत्राधिकारी अमरीश भदौरिया एवं थाना अध्यक्ष विजय कुमार दुबे मय फोर्स के साथ पहुंच कर स्नान घाटो का निरीक्षण किया ।मेले मे सुरक्षा को लेकर पीएसी फोर्स एवं पुलिस टीम लगाई गई हैं जो लगातार निगरानी कर रही है। मेहदावल थाना क्षेत्र अंतर्गत करमैनी घाट(गोरखपुर बॉर्डर) पर कार्तिक पूर्णिमा के पर्व पर स्नान व लगे मेले मे फोर्स निरीक्षण के दौरान स्नान एवं मेले मे आने वाले श्रद्धालुओं को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए कहा की किसी भी तरह की स्नान मेले मे आने वाले श्रद्धालुओ के साथ समस्या न हो और लापरवाही न होने पाएं मेले का लगातार निरीक्षण होता रहे मेले मे अराजक तत्वों की पहचान कर उचित कार्यवाही भी की जायेगी। निरीक्षण के दौरान प्रभारी निरीक्षक मेहदावल विजय कुमार दुबे चौकी प्रभारी बनकसिया अवधेश सिंह मय फोर्स के साथ ग्राम प्रधान प्रतिनिधि शंकर सहाय व ग्राम प्रधान बेलौहा मो ० इकबाल सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था,जिससे देवगण बहुत प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिवजी को त्रिपुरारी नाम दिया जो शिव के अनेक नामों में से एक है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने प्रदोष काल में अर्धनारीश्वर के रूप में त्रिपुरासुर का वध किया। उसी दिन देवताओं ने शिवलोक यानि काशी में आकर दीपावली मनाई। तभी से ये परंपरा काशी में चली आ रही हैं। माना जाता है कि कार्तिक मास के इस दिन काशी में दीप दान करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है। आज ही के दिन काशी में देव दीपावली भी मनाई जाती है । आज ही के दिन भगवान विष्णु ने मत्स से अवतार धारण किया था। और आज के दिन तुलसी माता का भी दीपक हवन पूजन किया जाता है और कार्तिक पूर्णिमा को गुरु नानक जयंती के रूप में भी मनाया जाता है

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