विमल मिश्रा
स्वतंत्र पत्रकार विजन
लखीमपुर खीरी।
निघासन ब्लाक में स्थित प्राथमिक विद्यालय बंगलहा तकिया ने त्वरित गति से और बहुत ही नियोजित तरीके से शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता को प्राप्त किया है।भौगोलिक रूप से निघासन ब्लॉक मुख्यालय से सिंगाही-बेलरायां मार्ग पर लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर यह विद्यालय स्थित है।इस विद्यालय के इंचार्ज प्रधानाध्यापक दुर्गेश कुमार दुबे अपने समस्त स्टाफ के सामूहिक प्रयास से शिक्षा के क्षेत्र में नित नई ऊंचाईयां प्राप्त कर रहे है।जब इन्होंने कार्यभार ग्रहण किया तब विद्यालय का भौतिक व शैक्षणिक परिवेश देखकर इनके मन में विचार आया कि यही वह जगह है जहां की मुझे चाह थी। यह विद्यालय जीर्णशीर्ण एवं बच्चो का शैक्षिक स्तर मानक अनुरूप नहीं था।बस दुबे जी लग गए अपने सपनो को साकार करने में।प्रभार के समय दुर्गेश कुमार ने देखा कि विद्यालय प्रांगण में किसी प्रकार की कोई भी हरियाली नहीं है।बाउंड्री विहीन विद्यालय को हरा भरा एवं आकर्षक बनाना किसी चुनौती से कम नहीं था किंतु योजनाबद्ध ढंग से कार्य कर अथक प्रयासों द्वारा समस्त स्टाफ ने विभिन्न पर्यावरणीय नवाचारों द्वारा विद्यालय के सौंदर्यीकरण का कार्य आरंभ किया।आज विद्यालय बाउंड्री विहीन तीन तरफ से न होते हुए भी हरा भरा, आकर्षक एवं किचन गार्डन से युक्त है।यहां आने वाले आगंतुकों को यह अपनी ओर आकर्षित कर लेता है।सरकार द्वारा निर्धारित लगभग सभी मानकों को विद्यालय पूर्ण कर चुका है।प्रभार के समय विद्यालय के कक्ष अंदर से जीर्ण अवस्था में थे।इसके लिए प्रधानाध्यापक ने अपने स्टाफ के साथ योजना बनाकर प्रबंध समिति के सहयोग से प्रत्येक कक्ष को आकर्षक, टीएलएम, व लर्निंग कॉर्नर से युक्त बना दिया।अगर बात शिक्षा की की जाए तो यह भौतिक सुंदरता से भी अधिक प्रभावशाली है।गुणवत्ता परक शिक्षा के लिए समस्त शिक्षकों ने अभिभावकों, प्रबंध समिति व ग्राम प्रधान सभी से सामूहिक सहयोग लेकर कार्य आरंभ किया।इनके द्वारा प्रतिदिन अभिभावकों से संपर्क का लक्ष्य रखा गया। सभी शिक्षकों को निर्धारित समान अनुपात में छात्रों को आवंटित कर दिया गया।शिक्षकों ने अपने लगन व परिश्र्म से बच्चों व अभिभावकों से विभिन्न माध्यमों से नियमित संपर्क बनाना आरंभ किया।अब आलम यह है कि नामांकन के सापेक्ष जितने बच्चे हैं।सभी बच्चों के अभिभावकों का नाम व घर दुर्गेश कुमार को रट गया है।हाजिरी के उपरांत जो बच्चे अनुपस्थिति होते हैं दुर्गेश कुमार अपनी मोटरसाइकिल से प्रत्येक बच्चे को घर से लेकर आते हैं।उनके इस प्रयास से विद्यालय की उपस्थिति लगभग 90 परसेंट रहती है। इंचार्ज प्रधानाध्यापक दुर्गेश कुमार के इस कार्य की सराहना सभी अभिभावक करते हैं।शिक्षक स्वनिर्मित टीएलएम एवं विभाग द्वारा प्रदत्त गणित व टीएलएम आदि का उपयोग कर पूर्ण मनोयोग से शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।परिणामस्वरूप दिन प्रतिदिन विद्यालय के शैक्षिक स्तर में सुधार होता चला गया।आज विद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त कर ली है।
आज विद्यालय में खेल, पुस्तकालय, मीना मंच, संगीत, वादन, प्रयोगशाला आदि को बहुत अच्छे ढंग से संचालित किया जा रहा है।प्रत्येक शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों से आगे बढ़कर कार्य करने को उत्सुक रहता है।अभिभावकों, विद्यालय प्रबंध समिति एवं ग्राम प्रधान का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो रहा है।नित नए नवाचारों के कारण विद्यालय को कई स्तरों से पुरस्कृत भी किया जा चुका है।आज चार शिक्षकों वाला यह विद्यालय एक परिवार के रूप में मिल- जुल कर कार्य कर रहा है।प्रधानाध्यापक दुर्गेश कुमार बच्चों की सेहत के लिए और स्वच्छता के लिए विशेष कार्य करते हैं।वह उन्हें अपनी तरफ से साबुन और शैंपू तथा उन्हें अपने शारीरिक स्वच्छता और योग व्यायाम के लिए प्रेरित करते रहते हैं।उन्हें कुश्ती स्पर्धा आदि खेलों में विशेष रूचि है क्योंकि वह पहले पहलवान रह चुके हैं।पिछले साल जिला स्तरीय खेलों में विद्यालय के छात्र पवन कुमार ने जिले में कुश्ती में सेकंड रैंक पाकर ब्लॉक निघासन तथा स्कूल का नाम बढ़ाया था। विद्यालय के सहायक अध्यापिका गीता देवी बहुत अच्छे टीएलएम निर्माण करती हैं तथा सहायक अध्यापक नीरज कुमार गणित के अच्छे अध्यापक हैं और विद्यालय में शिक्षामित्र के पद पर रमाकांत मौर्या जी क्षेत्रीय भाषा के कवि होने के साथ-साथ गतिविधि के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने में निपुण है। तथा स्वरचित कविताओं के माध्यम से बच्चों को पढ़ाते हैं।वर्तमान में विद्यालय स्टाफ द्वारा विद्यालय के बच्चों को निपुण बनाने के सार्थक प्रयास किए जा रहे है।