रिपोर्ट गुड्डू यादव
स्वतंत्र पत्रकार विजन
गाजीपुर – जिलाधिकारी आर्यका अखौरी की अध्यक्षता में लम्पी स्किन डिजीज (एल एस डी) के नियन्त्रण एवं निगरानी हेतु वर्चुवल बैठक ली गयी। बैठक के दौरान लम्पी स्किन डिजीज की रोकथाम हेतु दिशा निर्देश देते हुए बताया कि यह एक वायरल बीमारी है जो कैप्रीपाक्स नाम वायरस से होती है। इस बीमारी से मुख्यतः गोवंशीय पशु प्रभावित होते है। इस बिमारी के रोक थाम हेतु विशेष सर्तकता बरतते हुए टीकाकरण का निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने वर्चुवल बैठक के दौरान पशुओ में होने वाले लम्पी स्कीन डिजीज के लक्षण, रोग का प्रसार, उपचार एवं निवारण, रोग के प्रकोप के समय क्या करे क्या न करे की जानकारी दी ।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी इस बिमारी से पशुओ को तेज बुखार, ऑख व नाक से पानी गिरना, पैरों में सूजन, पूरे शरीर में कठोर एवं चपटी गॉठ उभर आना, गाभिन पशुओ का गर्भपात, दुधारू पशुओ आदि प्रकार के लक्षण पाये जाते है। कभी-कभी सम्पूर्ण शरीर की चमड़ी विशेष रूप से सिर, गर्दन, थूथन, थनों गुदा व अंडकोष या योनिमुख के बीच के भाग पर गॉठो के उभार बन जाते है तथा पूरा शरीर गॉठो से ढक जाता है।
रोग का प्रसार रोग का विषाणु, बीमार पशु के लार, नासिक स्राव, दूध एवं वीर्य में पाये जाते है। बीमार पशु के सीधे सम्पर्क में आने से या रोगग्रस्त पशु के स्राव से प्रदूषित चारा, पानी खाने से स्वस्थ पशु बीमार हो सकता है। मुख्यतः मच्छरों, मक्खियों, किलनी आदि जैसे खून चूसन वाले कीड़ो के काटने से यह रोग बहुत तेजी से फैलता है। टीकाकरण एवं इन्जेक्शन के दौरान दूषित सुईयों के प्रयोग से यह रोग अन्य पशुओं में फैल सकता है। लक्षण दिखायी देने पर तत्काल निकट के पशु चिकित्साधिकारी को सूचित करें। बुखार की स्थिति में पशु चिकित्सक की सलाह से ज्वर नाशक यथा पैरासीटामॉल एवं एन्टीबायोटिक आदि औषधियों का प्रयोग करें।
रोग प्रकोप के समय क्या करें – सर्वप्रथम निकटतम पशु चिकित्साधिकारी को सूचित करें। प्रभावित पशु को स्वस्थ पशु से अलग करें। पशुओं को सदैव साफ पानी पिलायें। पशुओं को मच्छरों, मक्खियों, किलनी, आदि से बचाने हेतु पशुओं के शरीर पर कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करें। बीमार पशुओं की देखभाल करने वाले व्यक्ति को भी स्वस्थ पशुओं के बाड़े से दूर रहना चाहिये।
रोग प्रकोप के समय क्या ना करें – बीमार एवं स्वस्थ पशुओं को एक साथ चारा-पानी न कराये। प्रभावित क्षेत्रों से पशु खरीद कर न लायें। यदि किसी पशु की मृत्यु होती है, तो शव को खुले में न फेंके एवं वैज्ञानिक विधि से दफनायें। रोगी पशु के दूध को बछड़े को न पिलायें।
जनपद स्तर पर इस बीमारी के निगरानी हेतु कन्ट्रोल रूम स्थापित किया गया है जिसके प्रभारीडा0 जमालुद्दीन अंन्सारी पशु चिकित्साधिकारी गौरी, गाजीपुर बनाये गये है, जिनके मोबाइल नम्बर 9839430932 है। इसके अतिरिक्त जनपद मे विकास खण्ड स्तरीय 16 निगरानी टीमो का गठन किया गया है जिसके प्रभारी सम्बन्धित विकास खण्ड स्तरीय पशु चिकित्साधिकारी बनाये गये है। निगरानी टीमो द्वारा प्रतिदिन ग्रामो का भ्रमण कर सूचना कन्ट्रोल रूम को उपलब्ध करायी जा रही है। लम्पी स्किन डिजीज से प्रभावित पशुओ का सेग्रीगेशन कर नियमित चिकित्सा उपलब्ध करायी जा रही है। वर्चुवल बैठक में मुख्य विकास अधिकारी, समस्त उपजिलाधिकारी, जिला विकास अधिकारी, पी डी, समस्त पशु चिकित्साधिकारी, समस्त खण्ड विकास अधिकारी, समस्त ई0ओ0 नगर पालिका/पंचायत, एवं अन्य सम्बन्धित अधिकारीगण मौजूद रहे।