रिपोर्ट कमलेश कुमार स्वतंत्र पत्रकार विजन
गाजीपुर: शनिवार को अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी गाजीपुर के न्यायालय में एक पुराने मुकदमे में पूर्व विधायक उमाशंकर सिंह कुशवाहा सहित कुल छः लोगो के खिलाफ चल रहे मुकदमे में आरोप बनाना था जिस में उपस्थित न होने पर 100 रुपए का हरजाना लगाया गया और अगली तारीख छः सितंबर को आरोप में बनाया जायेगा । ज्ञात हो की वर्ष 2010 में पूर्व विधायक उमाशंकर कुशवाहा काफी दबंग और ताकतवर विधायक माने जाते थे उस समय बसपा की सरकार का पूरा संरक्षण पूर्व विधायक पर था की उसी समय कोटिया बौद्ध विहार के बौद्ध भिक्खू बुद्ध ज्योति महाथेरा ने आरोप लगाते हुए तात्कालिक पुलिस अधीक्षक से मिल कर बताया था की घटना आठ अप्रैल 2010 को 08-4-2010 को उमाशंकर कुशवाहा रामप्रसाद कुशवाहा, निवासी ग्राम प्रसादपुर, पो०-छावनी लाईन गाजीपुर हमारे यहा अशोक महाविहार कोटिया आए और बुद्ध प्रतिमा की मांग की गई थी जिस पर मेरे द्वारा बुद्ध प्रतिमा किस स्थान पर किस उद्देश्य से स्थापित करेगें और मेरा संगठन अनुमति प्रदान करेगा तो प्रतिमा दिया जा सकता है। इस पर उक्त उमाशंकर कुशवाहा ने कहा कि नहीं मालूम कि में उत्तर प्र0 विधान सभा का सदस्य रह चुका हूं और सत्ता दल का समर्थक हूँ जब चाहूँगा मूर्ति उठा कर लगवा लूंगा। यह धमकी देते हुए उक्त उमाशंकर कुशवाहा चले गये। पुनः 11-4-2010 को 12 बजे दिन में उक्त पूर्व विधायक 10 अन्य व्यक्तियों के साथ आये और जबरदस्ती अशोक महाविहार में घुस कर लगभग 30 लाख रूपये के कीमती धातु की मूर्ति जबरदस्ती अपने गाड़ी में रखवा लिये तथा घसीटते हुए से लें जाकर गाड़ी में बैठा दिये। जिस गाड़ी में परिवादी को बैठाया गया उसी गाड़ी में उक्त उमाशंकर कुशवाहा व उनके साथी तथा दूसरी गाड़ी में बुद्ध प्रतिमा और उनके साथ गये लोग बैठे। दोनों गाडियों को कोटियाँ, जमानियों से परिवादी को धमकाते हुए स्व रामप्रसाद इण्टर कॉलेज, छावनी लाईन के परिसर में रखवाने के बाद उक्त पूर्व विधायक मुझे नजरबन्द करके प्रताड़ित करते रहे तथा पाँच दिनों तक तरह-तरह प्रतादित करने एवं जान मारने की धमकी देने के पश्चात लखनऊ रेलवे स्टेशन पर छोड़ा गया वहाँ से इस मामले की शिकायत कुछ मंत्रियों से करना चाहा तो मेरी बात कभी सुनी नहीं गयी उसके बाद गाजीपुर आए और 18-4-2010 को पुलिस अधीक्षक, गाजीपुर से मिलकर शिकायत किया तत्पश्चात् अपने अशोकमहाविहार पर जा रहा था कि रास्ते में विकास भवन चौराहे पर पूर्व विधायक के अज्ञात गुडे जबरदस्तीकर गाड़ी में बैठा लिये और लेकर चले गये फिर 21-4-2010 को ग्राम महेवा के मेन रोड पर छोड़ कर बदमाश भाग गये। इसके पुन अधिकारियों का शिकायती पत्र भेजा। कोई कार्यवाही नहीं होने पर धारा 156 (3) द०प्र०सं० के उपबन्धों के तहत अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी के न्यायालय में परिवादी द्वारा प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया। जिस पर प्रभारी अधिकारी न्यायिक मजिस्टेट, गाजीपुर द्वारा 17-9-2010 को मुकदमा कायम करने का आदेश थाना- जमानियों को दिया। परन्तु मुख्य अभियुक्त के प्रभावशाली होने और पुलिस पर दबाव होने के कारण थाना- प्रभारी द्वारा कोई पुकदमा अंकित नहीं किया गया। तत्पश्चात् परिवादी के शिकायती आवेदन पत्र पर न्यायालय द्वारा थाना प्रभारी जमानिया व पुलिस अधीक्षक गाजीपुर को मुकदमा कायमी हेतु पत्र प्रेषित किया गया। पुलिस अधीक्षक द्वारा भी थाना प्रभारी जमानियों की विशेष निर्देश पत्र भेज कर मुकदमा दर्ज का निर्देश दिया। इसके बावजूद थाना प्रभारी द्वारा मुख्य अभियुक्त के दबाव व प्रभाव में होकर 15-10-2010 तक मुकदमा कायम नहीं की गयी तब न्यायालय द्वारा भाग 349 द प्र स के तहत कार्यवाही हेतु प्रभारी जमानिया को नोटिस भेजी गयी। तब जाकर पुलिस द्वारा 30-10-10 का मुकदमा थाना जमानिया में पंजीकृत किया गया। परन्तु मुकदमा कायमी के पश्चात् पुलिस ने न तो परिवादी से और न ही गवाहों से कोई पूछताछ की गयी न ही कोई कागजात देखे गये लल्कि थाना प्रभारी जमानिया /विवेचक मुकदमा अभियुक्त द्वारा परिवादी को धमकी मिलने लगी कि परिवादी मुख्य अभियुक्त से सुलह कर ले नही तो उल्टे परिवादी के विरुद्ध कार्यवाही की जायेगी और परिवादी को ही फर्जी मुकदमें में फंसा दिया जायेगा वह परिवादी ने 16-11-2010 को पुलिस अधीक्षक, गाजीपुर को उक्त प्रकरण में शिकायती प्रार्थना पत्र दिया तथा मूर्ति जपति के सन्दर्भ में सत्र न्यायालय में निगरानी प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। पुलिस अधीक्षक द्वारा परिवादी को पूर्णरूपेण आश्वस्त किया गया कि पूरे प्रकरण की जांच अपर पुलिस अधीक्षक, गाजीपुर ग्रामीण करेंगे और मुख्य आरोपी या अन्य दोषी व्यक्ति को बक्शा नहीं जायेगा। इसके बावजूद पुलिस द्वारा विवेचक द्वारा न तो परिवादी से न ही परिवादी के गवाह से कोई पूछताछ की गयी न ही कोई कागजात ही देखे गये बल्कि उल्टे मूर्ति प्रकरण संबंधित फी० नि० की सुनवाई के समय 25-11-2010 को थाना अमानियों द्वारा न्यायालय की प्रेचित रिपोर्ट व केश डायरी के जरिए शासकीय अधिवक्ता के माध्यम से सूचित किया कि उपरोक्त मामले में विवेचक द्वारा फाइनल रिपोर्ट प्रेषित कर दी गयी है तथा विवेचक द्वारा सत्र न्यायालय को लिखित रूप से प्रेषित किया गया है। परिवादी द्वारा उक्त मुकदमे से संबंधित बौद्ध प्रतिमा अपने स्वेच्छा से मुख्य अभियुक्त के परिवार द्वारा संचालित रामप्रसाद कुशवाहा इण्टर कालेज, छावनी लाईन, कोतवाली में पहुंचाया गया है। मुख्य अभियुक्त न तो प्रतिमा को परिवादी के अशोक महाविहार से जबरदस्ती उठवाया है और न ही मुख्य अभियुक्त द्वारा परिवादी की रदस्ती नजरबन्द कर अपहरण किया गया है। परिवादी को फाइनल रिपोर्ट लगने की सूचना पर काफी मानसिक आघात लगा है और न्याय हेतु परिवादी न्यायालय हाजा मु० अ० सं०- 1057/2010 थाना – जमानियां जिला गाजीपुर से संबंधित घटना के साथ न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया ।