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एडीजी ने किया जिला जेल का औचक निरीक्षण

स्वतंत्र पत्रकार विजन
गुड्डू यादव

गाजीपुर। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशन में सोमवार को विजय कुमार- चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/सचिव पूर्णकालिक, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जिला कारागार, वनस्टाप सेंटर, गाजीपुर व वृद्धाश्रम, लड़गपुर छावनी लाईन, गाजीपुर का औचक निरीक्षण किया गया.निरीक्षण के दौरान बंदियों से निःशुल्क अधिवक्ता, जेल लोक अदालत तथा उनकी जेल अपील से संबंधित अन्य समस्याएं पूछी गयी एवं उनके यथोचित निराकरण हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया। इसके साथ ही बंदियों को उनके संवैधानिक अधिकारों की विस्तृत जानकारी दी गयी। कारापाल द्वारा बताया गया कि वर्तमान में कुल 671 बंदी निरूद्ध है। जिसमें 581 पुरूष, 30 महिला, महिला बंदियों के साथ कुल 07 बच्चे निरूद्ध है व 60 अल्पवयस्क है। सोमवार को नाश्ता- ब्रेड,चाय, दोपहर का भोजन-रोटी, चावल, अरहद की दाल, सब्जी (आलू, मूली, पालक) सायं का भोजन-रोटी, चावल, चना की दाल, सब्जी (आलू, पालक) है।सचिव द्वारा जेल के बंदियों से वार्ता कर उनकी समस्याओं को समझने के साथ ही उनके निस्तारण का निर्देश दिया गया। सचिव द्वारा बीमार बंदियो के संबंध में कारापाल एवं चिकित्सक को उचित निर्देश दिया गया। उन्होंने कारापाल को जिला कारागार में स्थित जेल लीगल क्लीनिक पर विशेष रूप से ध्यान देने के निर्देश दिए ताकि जेल में निरूद्ध बंदियों को समय से व समुचित विधिक सहायता प्राप्त हो सके। कारागार परिसर में साफ-सफाई, मच्छरो के बचाव के लिए छिड़काव के लिए निर्देशित किया गया। दौरान निरीक्षण सचिव ने वृद्धाश्रम अधीक्षिका को निर्देशित किया कि अधिक बुजुर्ग आश्रितों को अधिक गला हुआ भोजन मिलना चाहिए। आवासित बुजुर्गों का धर्म के अनुसार उनका अन्तिम संस्कार होना चाहिए। निराश्रित/बुजुर्गो के परिवार वालों से सम्पर्क करके उनको यह बताया जाय कि यदि वह उनका भरण-पोषण नही करेगे तो बुजुर्ग की सम्पत्ति उनके परिवार वालों को नही मिलेगी। (अन्तर्गत माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007) वृद्धाश्रम, आश्रय गृह में रहने वाले आश्रितों की वास्तविक आवश्यकता के अनुरूप वस्त्र और भोजन उपलब्ध कराया जाय। दान में मिले हुए अतिरिक्त सामान को स्टाक में रख जाए और आवश्यकता पड़ने पर प्रदान किया जाये। बुजुर्गो को मुख्य रूप से ऑख, दॉत एवं जोड़ रोग की समस्या होती है, उनका समुचित इलाज सुनिश्चित किया जाये। बुजुर्गो के स्वास्थ्य का परीक्षण एवं उनकी चिकित्सा का ध्यान रखा जाय तथा साफ-सफाई एवं हार्पिक, साबुन, हैण्डवाश तथा कम्बल व अलाव आदि की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाए। आवासित वृद्धजनों द्वारा किसी उत्पीड़न अथवा परेशानी की कोई शिकायत नहीं पायी गयी।
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