Home » सिर्फ रक्त और यौन सम्पर्क से फैलता है एड्स, मरीज के साथ रहने में खतरा नहीं-सीएमओ
Responsive Ad Your Ad Alt Text

सिर्फ रक्त और यौन सम्पर्क से फैलता है एड्स, मरीज के साथ रहने में खतरा नहीं-सीएमओ

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने विश्व एड्स दिवस के उपलक्ष्य में जनजागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाई

गांधी प्रतिमा के पास नुक्कड़ नाटक के जरिये समुदाय के बीच दिया संदेश

स्वयं शाही
स्वतंत्र पत्रकार विज़न

जनपद गोरखपुर एड्स का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्रसार सिर्फ रक्त और यौन सम्पर्क से होता है इस बीमारी के मरीज के साथ रहने में कोई खतरा नहीं है लोगों को एड्स मरीजों के साथ भेदभाव का बर्ताव नहीं करना चाहिए बल्कि उनके साथ सामान्य जीवन जीना चाहिए। अगर आसपास कोई एचआईवी मरीज है तो उसे टीबी की जांच के लिए अवश्य प्रेरित करें, क्योंकि ऐसे मरीजों में टीबी के कारण जटिलताएं बढ़ सकती हैं। यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने कहीं। उन्होंने एक दिसम्बर को मनाये गये विश्व एड्स दिवस के उपलक्ष्य में सोमवार को जनजागरूकता रैली को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया । इस मौके पर हस्ताक्षर अभियान का भी आयोजन किया गया जिसमें सैकड़ों लोगों ने हस्ताक्षर कर जन जागरूकता का संकल्प लिया। रैली जब टाऊहाल स्थित गांधी प्रतिमा पहुंची तो वहां नुक्कड़ नाटक का आयोजन कर समुदाय में जनजागरूका का संदेश दिया गया। रैली में स्कूली शिक्षकों, विद्यार्थियों, टीबी उन्मूलन कार्यक्रम से जुड़े कर्मियों, किन्नर समाज के लोगों और स्वयंसेवी संगठनों ने भी हिस्सा लिया।मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि एड्स के प्रति समाज में कई तरह के मिथक व भ्रांतियां हैं। इस कारण लोग मरीजों के साथ भेदभाव करते हैं। समाज में इन भ्रांतियों का खंडन कर जागरूकता संदेश देना जरूरी है। लोगों को बताना होगा कि एड्स मरीज के साथ बैठने, सामान्य मेल मिलाप, हाथ मिलाने, एक ही बर्तन में खाना खाने व पानी पीने, मच्छर या खटमल काटने से, एक दूसरे का कपड़ा एवं एक ही शौचालय का इस्तेमाल करने से, एक ही सवारी गाड़ी का इस्तेमाल करने से, एक साथ खेलने से, एक ही तरण ताल में नहाने से, चुम्बन करने से, एक ही फोन व ऑफिस का इस्तेमाल करने से, खांसने या छींकने से, पैसे एवं सामान के आदान प्रदान से और गले मिलने से एड्स का संक्रमण नहीं होता है  इस बीमारी का संक्रमण संक्रमित पुरुष के वीर्य, महिला के योनि स्राव, रक्त व मां के दूध के सम्पर्क में आने से होता है। कंडोम के साथ सुरक्षित यौन सम्बन्ध और संक्रमित के रक्त को शरीर में प्रवेश से रोकने के उपायों के जरिये इसके वायरस से बचा जा सकता है। सीएमओ ने बताया कि एचआईवी से एड्स की अवस्था में पहुंचने में पांच से दस साल तक का समय लग जाता है । इस बीच समय से लक्षणों की पहचान कर दवाओं के नियमित सेवन, डॉक्टरी सलाह और खुद की देखभाल से इस समयावधि को बढ़ाया जा सकता है ।एड्स के प्रमुख लक्षणों में वजन घटना, एक महीन से अधिक बुखार आना और एक महीने से अधिक दस्त रहना शामिल हैं। लगातार खांसी, चर्म रोग, मुंह एवं गले में छाले होना, लगातार सर्दी एवं जुकाम, लसिका ग्रंथियों में सूजन व गिल्टी होना, याददाश्त खोना, मानसिक क्षमता कम होना और शारीरिक शक्ति का कम होना इसके सामान्य लक्षण हैं । जनजागरूकता रैली शास्त्री चौक, टाउनहाल और घोष कंपनी चौराहा होते हुए जिला क्षय रोग केंद्र पर सम्पन्न हुई। रैली में उप जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, पीपीएम समन्वयक एएन मिश्रा, मिर्जा आफताब बेग, स्वच्छता ब्रांड अम्बेस्डर निशा किन्नर, टीबी एचआईवी कोआर्डिनेटर राजेश, डीपीसी धर्मवीर प्रताप, एसटीएस मयंक, अमित कुमार, गोबिंद, मनीष, संजय सिन्हा, सद्दाम, अमित मिश्रा,आकांक्षा, माधुरी त्रिपाठी, अर्चना, ममता, सरिता सिंह, एडी इंटर कॉलेज से प्रज्ञा सिंह, माया, पल्लवी, शीतल, पूजा, साक्षी, फलक, डीएवी डिग्री कॉलेज के सहायक आचार्य डॉ मनोज, शिक्षिका डॉ प्रतिभा गुप्ता, सम्पूर्ण सुरक्षा क्लिनिक, ज्योति ग्रामीण कल्याण संस्थान, सृष्टी सेवा संस्था,अमर शाहिद संस्थान और सीएससी संस्थाओं के प्रतिनिधिगण मौजूद रहे। एडी इंटर कॉलेज, डीएवी डिग्री कॉलेज और जुबिली इंटर कॉलेज के बच्चों ने रैली के दौरान एचआईवी एड्स संबंधित स्वनिर्मित पोस्टर के जरिये जागरूकता का संदेश दिया।
सीएमओ ने बताया कि जिला एड्स नियंत्रण अधिकारी डॉ गणेश यादव की देखरेख में जिले में 5672 एचआईवी संक्रमित मरीज दवा लेकर सामान्य जीवन जी रहे हैं । कुल 47 एचआईवी संक्रमित गर्भवती हैं जिनके सुरक्षित प्रसव के इंतजाम किये जा रहे हैं। 57 मरीज ऐसे हैं जिन्हें एचआईवी के साथ टीबी भी है । टीबी मरीज के एचआईवी ग्रसित होने की आशंका ज्यादा होती है, इसलिए प्रत्येक टीबी मरीज की एचआईवी जांच भी कराई जाती है।सीएमओ ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग प्रत्येक  टीबी  मरीज की एचआईवी जांच करवाता है।एचआईवी की पुष्टि होने पर टीबी और एचआईवी की दवा साथ साथ चलती है । ऐसा करने से एचआईवी ग्रसित टीबी मरीज ठीक हो जाता है और उसका जटिलताओं से भी बचाव होता है निजी अस्पतालों में इलाज करवाने वाले टीबी मरीजों को भी चिकित्सक की सहमति से इस जांच की सुविधा सरकारी अस्पतालों में दी जा रही है । एचआईवी ग्रसित टीबी मरीजों के जीवनसाथी की भी जांच कराई जाती है । प्रत्येक एचआईवी मरीज को टीबी से बचाव की दवा खिलाई जाती है। इस वर्ष 316 एचआईवी मरीजों को टीबी से बचाव की दवा खिलाई गई। जिन टीबी मरीजों को एचआईवी भी है, उनके टीबी का इलाज पूरा होने के बाद उन्हें भी छह माह तक टीबी से बचाव की दवा खिलाते हैं। लेकिन अगर ऐसे मरीज ड्रग रेसिस्टेंट टीबी मरीज हैं तो उन्हें बचाव की दवा नहीं खिलाई जाती है।

Responsive Ad Your Ad Alt Text

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Responsive Ad Your Ad Alt Text