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वाराणसी को टीबी मुक्त बनाने को स्वास्थ्य विभाग दृढ़ संकल्पित- सीएमओ

स्वतंत्र पत्रकार विजन
संवादाता रितेश कुमार

• टीबी मुक्त ग्राम पंचायत के लिए ग्राम प्रधान एवं सचिव को किया जा रहा प्रशिक्षित
वाराणसी, 28 नवम्बर 2024
प्रधानमंत्री द्वारा टीबी मुक्त पंचायत एवं फैमिली केयरगिवर कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। जिसका मुख्य उद्देश्य 2025 तक ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त बनाना है। इस क्रम में मास्टर ट्रेनर के रूप में जनपद के सभी एचइओ और एसटीएस को पूर्व में प्रशिक्षित किया जा चुका है| यह मास्टर ट्रेनर टीबी मुक्त पंचायत और फैमिली केयर गिवर कार्यक्रम के अंतर्गत 21 नवम्बर से अपने-अपने ब्लॉक पर सभी ग्राम प्रधान एवं सचिव को प्रशिक्षित कर रहे हैं| इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ पंचायतीराज विभाग मिलकर कार्य करेंगे| उसके बाद ग्राम प्रधान अपनी-अपनी ग्राम पंचायत को टीबी मुक्त होने का दावा प्रस्तुत करेंगे। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने दी|
उन्होंने बताया कि प्रथम वर्ष में ग्राम पंचायत टीबी मुक्त होने पर उस ग्राम पंचायत को ब्रोंज रंग, दूसरे वर्ष लगातार ग्राम पंचायत टीबी मुक्त होने पर सिल्वर रंग तथा लगातार तीसरे वर्ष ग्राम पंचायत टीबी मुक्त होने पर गोल्ड रंग की महात्मा गांधी की प्रतिमा एवं प्रमाण पत्र जिला अधिकारी के द्वारा दिया जायेगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ पीयूष राय ने बताया कि यह प्रशिक्षण पंचायतीराज विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त प्रयास से हरहुआ और पुवारीकला, काशीविद्यापीठ के अंतर्गत बीआरसी केसरीपुर, सीएचसी मिसिरपुर तथा बडागांव में हो चुका है| वर्ष 2023 में 46 ग्राम पंचायतें टीबी मुक्त घोषित की जा चुकी हैं| टीबी मुक्त पंचायत घोषित करने के लिए सबसे पहले पंचायत की शुरुआती बैठक करना है, टीबी मुक्त पंचायत करने की तैयारी, ग्राम पंचायत को अपना टीबी मुक्त पंचायत का दावा ब्लॉक पंचायत के माध्यम से जिला क्षय रोग अधिकारी के सामने करना होगा। जिला टीम द्वारा दावों का सत्यापन टीबी मुक्त पंचायत की घोषणा और अंत में प्रमाण पत्र जारी करना होगा। टीबी मुक्त पंचायत हेतु ग्राम पंचायत में एक हजार की आबादी पर कम से कम 30 संभावित टीबी के मरीजों की जांच होगी, ग्राम पंचायत में एक हजार की आबादी पर एक या एक से कम टीबी का मरीज होना चाहिये, मरीज की यूडीएसटी, निक्षय पोषण योजना के तहत डीबीटी का भुगतान एवं मरीज निक्षय मित्र द्वारा गोद लेकर पोषण पोटली से आच्छादित होना चाहिए।

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