रिपोर्ट
शशिकान्त जायसवाल स्वतंत्र पत्रकार विजन
गाज़ीपुर आज
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत स्वास्थ्य विभाग और महर्षि विश्वामित्र स्वशासी राजकीय मेडिकल कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में ‘सतत चिकित्सा शिक्षा’ (सीएमई) पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिलाधिकारी आर्यका अखौरी के निर्देशन व मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ देश दीपक पाल एवं मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो डॉ आनंद मिश्रा के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यशाला में अधिकारियों के द्वारा टीबी के कारण, लक्षण, स्क्रीनिंग, निदान, नोटिफिकेशन एवं सम्पूर्ण उपचार के साथ जागरूकता पर विस्तार से चर्चा की गई। सभी वक्ताओं ने एकमत से कहा कि टीबी को लेकर चिकित्सकों में जिज्ञासा बढ़ाना जरूरी है।
प्राचार्य प्रो डॉ आनंद मिश्रा ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर सतत चिकित्सा शिक्षा के माध्यम से चिकित्सकों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाना था, जिससे टीबी रोगियों व जनमानस को बेहतर सेवाएं मिल सकें। साथ ही चिकित्सक सहित अन्य पेशेवरों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रोत्साहन मिल सके। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ मनोज कुमार सिंह ने बताया कि बैठक में टीबी के उपचार में सहायक नई दवाओं के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। कॉलेज के हर विभाग से टीबी मरीजों को नोटिफ़ाई करने का निर्देश दिया गया। साथ ही मेडिकल कॉलेज में मौजूद सीबी नाट व ट्रू नाट जांच को सुदृढ़ करने पर ज़ोर दिया गया। कल्चर जांच (कौन सी दवा चलानी है और कौन सी बंद करनी है) पर भी जानकारी दी गई। कॉलेज के चिकित्सकों के सवालों की जिज्ञासा का समाधान भी किया गया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 तक क्षय मुक्त भारत को लेकर देश के प्रधानमंत्री का विजन तभी पूरा हो सकता है जब ज्यादा से ज्यादा लोगों की स्क्रीनिंग हो और किसी भी टीबी रोगी का नोटिफिकेशन न छूटे।
डब्ल्यूएचओ के ज़ोनल ऑफिसर डॉ वीजी विनोद ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से टीबी के निदान, उपचार, नई दवाओं आदि के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि टीबी के सम्पूर्ण उपचार के लिए प्रतिदिन दवा खाना बेहद जरूरी है। सभी दवाएं पूर्ण रूप से सुरक्षित और बेहद फायदेमंद हैं। कई दवाएं बहुत महंगी हैं लेकिन सरकार की ओर से दी जा रही हैं जिसका टीबी रोगियों को लाभ उठाना चाहिए। एनटीईपी के जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) डॉ मिथलेश कुमार ने कहा कि टीबी रोगी सम्पूर्ण उपचार के दौरान एक भी दिन दवा खाना न छोड़ने के लिए प्रेरित करें। टीबी के सम्पूर्ण उपचार के लिए उसका कोर्स का पूरा होना बहुत जरूरी है। कई टीबी रोगी बीच में ही इलाज छोड़ देते हैं या फिर बदल-बदल कर इलाज करते हैं जिससे उनकी स्थिति बिगड़ जाती और कई बार बीमारी बहुत गंभीर स्थिति में पहुँच जाती है। ऐसे में मरीजों का सरकार द्वारा निर्देशित दवाओं से उपचार करने पर जोर दिया जाना चाहिए। साथ ही एचआईवी, डायबिटीज मरीजों की टीबी की नियमित जांच की जाए।
बैठक में सह आचार्या डॉ भानु प्रताप पाण्डेय, डॉ चंद्रमौली मिश्रा, डॉ धनंजय, पीपीएम समन्वयक अनुराग पाण्डेय, एसटीएस सुनील कुमार वर्मा, एसटीएलएस वैंकटेश्वर प्रसाद शर्मा, कमलेश कुमार, संजय सिंह यादव, समस्त प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर, सीनियर व जूनियर रिसर्च फैलोशिप, सभी छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।