रिपोर्ट गुड्डू यादव
स्वतंत्र पत्रकार विजन
गाजीपुर। सैदपुर रविवार को आयोजित समीक्षा अधिकारी / सहायक समीक्षा अधिकारी की परीक्षा देने जा रहा एक युवक सैदपुर बस स्टैंड मे टॉयलेट करने उत्तरा तो बस चल दी, जिससे बस के साथ ही उसमे रखी उसकी प्रवेश पत्र भी छूट गई। जिसके बाद युवक मदद न पाने पर अपना आपा खो दिया। जिसके बाद वह अपने सारे कपडे उतार नंग-धड़ँग हो एवं खुद को ब्लेड से घायल कर पैदल ही नगर स्थित मेन रोड से अपने घर की ओर चल दिया ! जिसको देख नगर के कई लोगो के साथ ही चौकी इंचार्ज द्वारा उसको समझाने की कोशिश की गई, लेकिन वह नहीं माना !
बता दें कि परीक्षार्थी सूरज यादव पुत्र कमलेश यादव (26 वर्ष) थाना सैदपुर अन्तर्गत गोपालपुर गांव निवासी है,जो की वर्तमान मे वाराणसी जनपद के सारनाथ मे रहता है।सूरज रविवार सुबह वाराणसी से प्राइवेट बस से गाजीपुर स्थित डीएवी कॉलेज में समीक्षा अधिकारी भर्ती परीक्षा में शामिल होने के लिए जा रहा था। उसके पास उसका एक बैग था। जिसमें प्रवेश पत्र सहित पर्स व जरूरी डॉक्यूमेंट थे। करीब 8 बजकर 15 मिनट पर उसकी बस सवारी के लिए सैदपुर के रावल मोड़ के पास रुकी। युवक के अनुसार उसे तेज टॉयलेट लगी थी। जिसके बाद सूरज बस रुकने पर वह कंडक्टर से बोलकर बस में ही अपना बैग रख टॉयलेट करने के लिए उत्तर गया। जब लौटा तो देखा वहां से बस जा चुकी थी। उधर परीक्षा का समय भी निकलता जा रहा था। उसने बताया की कुछ लोगों से मदद मांगी लेकिन उसे मदद नहीं मिली। जैसे ही युवक को लगा कि अब वह परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएगा। उसने अपना आपा खो दिया। जिसके बाद चिल्लाते हुए अपने सारे कपड़े वहीं निकाल दिए और ब्लेड से खुद के पुरे शरीर पर कट मारने लगा ! इसके बाद सूरज कलाई मे स्मार्ट वाच व पैर मे जूता पहन बिना कपडे ही नग्न अवस्था में अपने घर की ओर चल दिया! जिसके बाद युवक को नग्न जाता देख रास्ते मे लोग उसे समझाते रहे, साथ ही लोग उसे पहनने के लिए गमछा आदि देते नजर आए। लेकिन उसने लोगों की एक न सुनी। वह बस मालिक को गाली देते हुए, उसे बुलाने की जिद करता रहा। इस दौरान वह सैदपुर कोतवाली के सामने से भी गुजारा। जहां मौजूद चौकी इंचार्ज रामकुमार दुबे एवं मौजूद पुलिसकर्मियों ने उसे समझाने का प्रयास किया!लेकिन किसी की बात सुने बगैर ही वह आगे बढ़ गया। उसने कहा कि वह अशिक्षित नहीं है। लेकिन लोग हमे पागल कह रहे है,लेकन मै जेएनयू जैसे विश्वविद्यालय से पढ़ा शिक्षित छात्र हूँ ! कहा की मुझे शौक नहीं है बिना कपड़ो के चलना। लेकिन मै आज के सिस्टम को बताना चाहता हूँ। जिस समाज मे लोग मज़बूरी मे भी मदद नहीं करते है,उस समाज मे ये निर्जलता उससे बेहतर है।