Home » वाराणसी: पुलिस की पाठशाला: सेनानायक डॉ. राजीव नारायण मिश्र ने ड्रोन संबंधी नियम एवं कानून के बारे में दी जानकारी
Responsive Ad Your Ad Alt Text

वाराणसी: पुलिस की पाठशाला: सेनानायक डॉ. राजीव नारायण मिश्र ने ड्रोन संबंधी नियम एवं कानून के बारे में दी जानकारी

रिपोर्ट कमलेश कुमार स्वतंत्र पत्रकार

वाराणसी। 34वीं वाहिनी पीएसी वाराणसी के बहुउद्देशीय हाल पिनाक मंडपम में वहिनीं के जवानों को सेनानायक डॉ0 राजीव नारायण मिश्र, आईपीएस द्वारा वर्तमान में सुरक्षा के प्रत्येक आयामों की सुदृढ़ता को बनाये रखने के साथ-साथ सुरक्षा की महत्ता एवं संवेदनशीलता के दृष्टिगत वर्तमान में ड्रोन के प्रयोग, ड्रोन टेक्नोलॉजी, एटीं-ड्रोन टेक्नोलॉजी, ड्रोन फॉरेंसिक तथा ड्रोन के संबंध में नियम एवं कानून के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई । डॉ मिश्र ने जवानों को बताया कि ड्रोन एक मानव रहित विमान है जो कि स्वतंत्र रुप से अथवा किसी जमीनी संचालक द्वारा रिमोट के माध्यम से संचालित किया जाता है एवं वायु में संचालित विमानों के तर्ज पर ही संचालित होता है। आज बढ़ते आधुनिकीकरण के दौर में ड्रोन तकनीकी विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग कार्यों हेतु प्रयोग में लाया जा रहा है। ड्रोन का प्रयोग किसी विशेष क्षेत्र के मानचित्रण एवं उसके सर्वेक्षण, कृषि फसलों की निगरानी एवं उनमें दवाओ एवं कीटनाशकों का छिड़काव करने, आपातकाल के समय आपात स्थिति में खोजबीन एवं बचाव राहत कार्य हेतु उपयोग, शिकारियों की निगरानी, बॉर्डर क्षेत्र में घुसपैठ एवं आतंकवादी गतिविधियों की निगरानी करने के साथ-साथ मल्टीस्पेक्ट्रल/थर्मल/एनआईआर कैमरे, एरियल फोटो/वीडियोग्राफी और लाइव स्ट्रीमिंग इवेंट आदि हेतु भी उपयोगी है। ड्रोन का उपयोग सुरक्षा के दृष्टिगत भीड़भाड़ वाले स्थान पर नजर बनाए रखने, किसी रैली अथवा भीड़ जमाव पर पैनी नजर रखने हेतु, बड़े एवं सुप्रसिद्ध तीर्थ स्थलों, मेलो आदि में अराजक तत्वों पर नजर रखने हेतु सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी भी सिद्ध हो रहा है। विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों जैसे राज्य पुलिस एवं केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ-साथ विभिन्न खुफिया एजेंसियों के लिए भी यह तकनीकी अत्यंत उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो रही है। डीजीसीए द्वारा विभिन्न प्रकार के ड्रोनों को पांच प्रकार – नैनो, माइक्रो, मिनी, लघु एवं बृहद् में वर्गीकृत किया है। ड्रोन का सकारात्मक पहलुओं से अनुप्रयोग जितना फायदेमंद है, गलत हाथों में पहुंचने पर इसका प्रयोग उतना ही नुकसानदायक या विध्वंसक भी हो सकता है। प्रजेंटेशन के माध्यम से ड्रोन तकनीकी के सकारात्मक पहलुओं व चुनौतियों पर प्रस्तुत, सेनानायक डॉ मिश्र का यह व्याख्यान, पीएसी कर्मियों की व्यावसायिक दक्षता बढ़ाने की दृष्टिकोण से अत्यंत उपयोगी एवं महत्वपूर्ण रहा।

Responsive Ad Your Ad Alt Text

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Responsive Ad Your Ad Alt Text