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गोरखपुर महोत्सव में पत्रकारों को नही दिया गया पास।

महोत्सव के अंदर जाने के लिए जदोजहद करते दिखे पत्रकार।

बाहर की कुर्सियां पूरी तरह से भरी रही।साथ ही आमलोगों का बाहर तक जमवाड़ा लगा हुआ था।वही दूसरी तरफ अंदर की कुर्सियां खाली पड़ी दिखी।अधिकतर कुर्सियों पर तो पुलिस के लोग बैठ कर ड्यूटी करते दिखे।

स्वयं शाही
स्वतंत्र पत्रकार विज़न

जनपद गोरखपुर जी हां आपको बता दे की एक तरफ पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन द्वारा गोरखपुर महोत्सव को लेकर लगातार मीडिया के माध्यम से प्रचार प्रसार किया गया था। गोरखपुर महोत्सव को लेकर इसकी सूचना जन जन तक प्रसारित भी हुई।हालांकि 10 तारीख को जैसे ही गोरखपुर महोत्सव का आगाज हुआ वैसे ही महोत्सव के अंदर पत्रकारों को जाने के जदोजहद करनी पड़ी। महोत्सव के अंदर पत्रकार क्या आम आदमी क्या है। सभी को जदोजहद से जूझना पड़ा। हालांकि सूचना विभाग द्वारा यह पहले ही बताया गया था कि पत्रकारों को पास की आवश्यकता नहीं है सूचना विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर मौजूद रहेंगे और पत्रकारों को अंदर जाने के लिए व्यवस्था करेंगे। लेकिन मौके पर खबर कवरेज करने वाले पत्रकारों को अंदर जाने के लिए नाको चने चबाना पड़ा। हालांकि आम जनता के लिए या महोत्सव पूरी तरीके से चार-चार लगाने वाला होता है लेकिन हर बार की तरह इस बार भी गोरखपुर महोत्सव वीआईपी कल्चर में कहीं ना कहीं दबकर रह गया और जो भी पास जारी किए गए थे।वह किसको और कैसे दिए गए।यह तो सोचने वाली बात है।इस कारण गोरखपुर महोत्सव में आने वाले आम लोगों को काफी दिक्कतों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा सूचना विभाग का पूरी तरीके से यह कर्तव्य है कि मीडिया को पास जारी करने के साथ ही समाचार संकलन करने में सहयोग किया जाए।लेकिन इस साल भी सम्बंधित विभाग पूरी तरीके से वीआईपी कल्चर में दब कर रह गया और यह महोत्सव वीआईपी लोगों के लिए ही बनकर रह गया।

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