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रामलीला में हुई कंबोडिया, थाइलैंड, मलेशिया, धर्म परिवर्तन और इस्लाम की चर्चा इस्लाम स्वीकार करने का मतलब ये नही कि हमने अपने बाप और दादाओं को बदल दिया – शिव प्रताप शुक्ल

स्वतंत्र पत्रकार विजन
इक़बाल अहमद

जनपद गोरखपुर रामलीला का तीसरा दिन..श्री राम ने शिव धनुष पर जैसे ही प्रत्यंचा चढ़ाई धनुष टूट गई..!
गोरखपुर। महर्षि विश्वामित्र जी श्री राम व लक्ष्मण के साथ जनकपुर पहुंचते हैं अगले दिन प्रातः श्री राम और लक्ष्मण पुष्प वाटिका में जाते हैं वहां पहली बार माता सीता को दूर से श्री राम और लक्ष्मण देखते हैं। यह दृश्य बड़ा ही मनोहारी रहा फिर वापस आते हैं। अगले दिन राजा जनक धनुष यज्ञ प्रारंभ करते हैं जिसमें पूरे विश्व से राजा और राजकुमार बुलाए गए थे।सबको राजा जनक जी की प्रतिज्ञा सुनाई गई और कही गई कि जो इस शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा उसी से सीता जी का विवाह होगा। सभी राजा एक-एक करके आते हैं परंतु कोई धनुष को हिला तक नहीं पता । बाणासुर पहले से आया रहता है उसके बाद रावण आता है दोनों में संवाद होता है दोनों धनुष को उठाए बिना चले जाते हैं । जब धनुष को कोई नहीं उठा पता तो एक साथ सैकड़ो राजा धनुष को उठाने के लिए आते है परंतु धनुष को हिला भी नही पाते है तब विश्वामित्र जी के आदेश पर श्रीराम उठाते हैं और एक ही बार में धनुष उठा लेते है और जैसे प्रत्यंचा चढ़ाते हैं धनुष टूट जाता है । सीता जी श्री राम के गले में जय माल डाल देती हैं। धनुष के टूटने की आवाज पर परशुराम जी जो महेंद्र पर्वत पर तपस्या कर रहे थे राजा जनक के दरबार में क्रोधित होकर आते हैं। परशुराम जी जब आते हैं तो राजा जनक से किसने धनुष तोड़ा पूछते हैं इस पर राम जी कहते हैं आपका कोई सेवक की धनुष तोड़ा होगा तब परशुराम जी क्रोधित होते हैं इसी बीच लक्ष्मण जी बोलते हैं और लक्ष्मण जी और परशुराम जी में बड़ा तीखा संवाद होता है ।अंत में राम जी भी जब अपने शब्दों के द्वारा अपना परिचय देते हैं कि वह स्वयं भगवान श्री हरि विष्णु के अवतार हैं तब उनकी इस गूढ़ बात को परशुराम जी समझ जाते हैं और उन्हें अपने धनुष को देते हुए कहते हैं कि इस धनुष पर तुम प्रत्यंचा चढ़ा दोगे तो मेरा संदेश दूर हो जाएगा । श्री राम जी ने उस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई । इस पर परशुराम जी श्री राम की स्तुति करते हैं और चले जाते हैं। राजा जनक महर्षि विश्वामित्र महाराज और अपने गुरु जी से आज्ञा लेकर राजा दशरथ के यहां निमंत्रण भेजते हैं विवाह बरात लाने के लिए और राजा दशरथ बारात लेकर आते हैं राम, लक्ष्मण ,भरत और शत्रुघ्न चारों भाइयों का धूमधाम से विवाह होता है। आज रामलीला के प्रारंभ में मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आदरणीय शिव प्रताप शुक्ला, पुष्प दंत जैन,राजीव रंजन अग्रवाल,मनीष अग्रवाल (सरार्फ),दीप जी अग्रवाल,बृजेश मणि मिश्रा,अनुराग गुप्ता,सन्तोष राजभर,नवोदित त्रिपाठी,जीतू अग्रवाल,भागवत,अग्रवाल,पीयूष अग्रवाल, विकाश जालान,महेश पोदार,राजा जैन,अंचित लहरी,महेश गर्ग, पदम अग्रवाल,पूजा गुप्ता,चंदन आर्य, ने श्री राम दरबार का आरती किया। मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल हिमाचल प्रदेश श्री शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि राम जन नायक है राम भारत के कण कण में विद्यमान है , राम हम सबके आदर्श है , राम एक ऐसे चरित्र है जिनका अनुकरण करके हम एक समरस समाज की स्थापना करने में सक्षम होंगे। अर्यनगर रामलीला समिति की रामलीला 107 वर्षों से यहां पर श्री के चरित्र को लोगों के बीच प्रस्तुत कर रही है, जो हम सभी के लिए बहुत ही सुखद है । मैं समित के सभी पदाधिकारियों का इस पुण्य कार्य के लिए बधाई देता है तथा कामना करता हूं कि ये समिति इसी तरह से अपने कार्य में अग्रसर होकर समाज को दिशा देने का काम करती रहेगी। हिमांचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि कंबोडिया , थाईलैंड में राजा राम के ही नाम पर होता है, मलेशिया मुस्लिम देश है फिर राम लीला वहां भव्य तरीके से होती है। मलेशिया के लोग यह मानते है की राम हमारे पूर्वज और कहते है कि हमने धर्म बदला कर मुस्लिम हुए है हमने अपने पूर्वज नहीं बदला है। राम के चरित्र के कारण ही हो पाया है क्योंकि उन्हें पता है की राम जैसा चरित्र और कोई नही हो सकता इसीलिए मलेशिया लोग राम को आज भी अपना आदर्श मानते है। हम सनातनी है और सनातन के आधार है।रामलीला समिति के महामंत्री पुष्प दंत जैन ने बताया कि कल रामलीला में मंथरा कैकेई संवाद एवं राम वनवास का मंचन किया जाएगा।

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