रिपोर्ट
शशिकान्त जायसवाल
गाजीपुर – रेवतीपुर ब्लाक में कहने को तो 74 राजकीय नलकूप है, लेकिन 52 ही चालू हालात में है। शेष 22 राजकीय नलकूप में से आठ की बोरिंग वर्षों से फेल है। जबकि अन्य विभिन्न कारणों से बंद पड़े हुए हैं। ऐसे में खेतों में बोई गई फसलों को समय से सरकार की सिंचाई की मुहिम सफल होती नहीं दिख रही है। किसान निजी पंप सेट के जरिए खेतों की सिंचाई को विवश हैं।
किसानों ने बताया कि कहने को तो इलाके में नलकूपों का जाल बिछाया गया है। इसका पूरा लाभ समय से नहीं मिल पाता। लाखों की आबादी वाले इस ब्लॉक में सैकड़ों हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। जहां समय-समय पर विभिन्न तरह के फसलों की बोआई होती है। कहा कि सरकार एक तरफ जहां सूदूर ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों रुपये की लागत से जगह-जगह राजकीय नलकूप लगवा रही है, जिससे इस कृषि प्रधान देश में रहने वाले अन्नदाता किसान अपने खेतों में समय-समय पर बोए जाने वाली फसलों को समय से सींच सकें। इससे फसलों का उत्पादन बढ़ने का साथ ही उन्हें आय का श्रोत भी बराबर बना रहे, लेकिन विभागीय कर्मचारियों एवं अधिकारियों की उदासीनता के चलते क्षेत्र के दर्जनों राजकीय नलकूप वर्षों बाद भी शोपीस बने हुए है। इसके चलते किसानों को फसलों में सिंचाई के मशक्कत करना पड़ रहा है। ग्रामीणों एवं किसानों ने बताया कि क्षेत्र के 65 जेडजी रेवतीपुर, 93 जेडजी हसनपुरा, 33 जेडजी नसीरपुर, 13 जेडजी नवली, 72 जेडजी नवली, 58 त्रिलोकपुर, 59 जेडजीतिलवां, 46 जेडजी मधुचक नलकूपों की बोरिंग करीब चार साल सेे फेल है।
एक नलकूप के सिंचाई की क्षमता करीब 250 एकड़ है। ऐसे में किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए महंगे दामों पर डीजल चालित मशीनों का सहारा लेना पड़ रहा है। इसके कारण लागत मूल्य पर असर पड़ता है, इसको लेकर कई बार विभागीय अधिकारियों को अवगत कराया गया। आश्वासन के अलावा कुछ नहीं हुआ है। इस संबंध में राजकीय नलकूप खंड प्रथम के अवर अभियंता आशीष कुमार ने बताया कि जल्द ही खराब नलकूपों को दुरुस्त करा दिया जाएगा