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पाठशाला में खेती की आधुनिक तकनीक सीख रहे किसान

बुआई से पहले बीज शोधन की सलाह

स्वतंत्र पत्रकार विजन
संवाददाता रितेश कुमार

चौबेपुर/वाराणसी
जिस प्रकार छोटे बच्चों की जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण जरूरी होता है उसी प्रकार फसलों को बीमारियों से बचाने के लिए बीज की बुआई करने से पहले बीज शोधन करना जरूरी होता है।यदि विलम्ब से बुआई की जा रही है तो ऐसी स्थिति में बीज शोधन का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।उक्त बातें मास्टर ट्रेनर देवमणि त्रिपाठी ने शनिवार को क्षेत्र के सरैया गांव में कृषि विभाग द्वारा आयोजित किसान पाठशाला में उपस्थित किसानों के बीच कही।उन्होंने कहा कि बुआई से पहले बीज शोधन करने से जहां एक ओर बीज का जमाव अच्छा होता है तो वहीं दूसरी ओर फसलों की बीज जनित रोगों से फसलों सुरक्षा होती है।ऐसे में रबी फसलों की बुआई में जुटे किसान बुआई से पहले बीज शोधन अवश्य करें।
ऐसे करें बीज शोधन-
फसलों को बीज जनित रोगों से बचाने के लिए ट्राईकोडर्मा 4 से 5 ग्राम या कार्बेंडाजिम की 3 से 5 ग्राम मात्रा प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज शोधन करना चाहिए।
उप कृषि निदेशक अखिलेश कुमार सिंह के निर्देशन में संचालित की जा रही किसान पाठशाला में किसानों को दलहनी,तिलहनी फसलों में सल्फर का प्रयोग करने की सलाह देने के साथ ही रबी फसलों की पंक्तियों में बुआई के लिए सीडड्रिल/सुपर सीडर का प्रयोग,तिलहनी व दलहनी फसलों की उत्पादन तकनीकी,पराली प्रबंधन के साथ ही प्राकृतिक खेती पर किसानों को विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गयी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ग्राम प्रधान प्रतिनिधि अर्जुन सोनकर ने किसानों से खेती की आधुनिक तकनीकों को अपनाकर खेती करने की अपील की।
इसी क्रम में सहायक तकनीकी प्रबंधक पंकज भास्कर ने आराजी चंद्रावती गांव मे आयोजित किसान पाठशाला में किसानों को खेती की नवीनतम तकनीकों की जानकारी प्रदान की।
इस दौरान बिहारी सोनकर,दीपराज,जितेंद्र, सुभाषचंद्र,मालती, शोभनाथ सहित बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे।

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