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गाजीपुर ए आरटीओ चालान करते समय लोगों को करते जागरुक रोड पर चलते समय हेलमेट, सीट बेल्ट, अवश्य लगाएं

ब्यूरो रिपोर्ट गुड्डू यादव
स्वतंत्र पत्रकार विजन

गाजीपुर। जनपद के सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी एआरटीओ सौम्या पांडे ने पत्रकारों से वार्ता की उन्होंने ने कहा कि गाजीपुर में आए लगभग 3 महीने हुए गाजीपुर में काम करना अच्छा लग रहा है लोगों की समस्याओं को लेकर कोशिश करते हैं कि जो भी समस्या हो जल्द से जल्द निपटा दिया जाए।
उन्होंने कहा कि फील्ड में चालान करते समय जो लोग मिलते हैं उन्हें हम जागरूक भी करते हैं कि सड़क पर कैसे चलना चाहिए ट्रैफिक नियम से कैसे बचाव हो सकता है ऐसे हम लोग सिखाते हैं ।
रोड पर चालान करते समय लोगों को प्यार से समझते हैं रोड पर चलते समय हेलमेट सीट बेल्ट अवश्य लगाएं रॉन्ग साइड ड्राइविंग ओवर स्पीडिंग ना करें।
दुर्घटनाएं सबसे अधिक निद्रा, नशा, ओवरस्पीड, ओवरटेकिंग, ओवरलोडिंग के कारण होती है।
उन्होंने बताया कि यातायात नियमों के पालन एवं सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समय-समय पर शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से ज़िला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, क्षेत्रीय परिवहन विभाग, विभिन्न सामाजिक संगठन साथ ही स्कूली स्टूडेंट्स वाहन चालकों को यातायात के नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। लेकिन कई वाहन चालक आज भी यातायत के कई नियमों के प्रति जागरूक नहीं हैं। नवंबर यातायात माह में यातायात के नियमों का पालन करना एवं लोगों को जागरूक करना मानवहित में ज़रूरी बताया। प्रायः देखने में यह आता है कि ज़्यादातर सड़कों पर होने वाले हादसों में स्वयं वाहन चालकों की ही लापरवाहियां होती हैं, जो उनके जीवन को खतरे में डाल देती हैं। वाहन चालक आज भी जागरूकता के अभाव में सिर्फ अपना चालान बचाने के लिए हल्के व घटिया हेलमेटों का प्रयोग कर रहे है।
यदि प्रतिदिन होने वाले हादसों पर नज़र डालें तो सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में एक बड़ा प्रतिशत उन दोपहिया वाहन चालकों का होता है, जिन्होंने हेलमेट का प्रयोग नहीं किया था या फिर सही हेलमेट का प्रयोग नहीं किया था। अचानक होने वाली दुर्घटनाओं में सर पर लगी गंभीर चोट और चोट की वजह से हुए रक्तस्राव की वजह से वाहन चालक गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं। ऐसी स्थिति में अगर उन्हें सही उपचार मिल भी जाता है तो शरीर का कोई ना कोई अंग निष्क्रिय होने की संभावना बनी रहती है और व्यक्ति सिर्फ ज़िन्दा लाश व परिवार पर बोझ बनकर रह जाता है।

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