रिपोर्ट कमलेश कुमार स्वतंत्र पत्रकार विजन
गाजीपुर। अति प्राचीन श्री रामलीला कमेटी हरिशंकरी की ओर से लीला के छठे दिन हरिशंकरी स्थित श्रीराम सिंहासन से 15 अक्टूबर शाम 6ः00 बजे मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम की शोभा यात्रा बाजे गाजे के साथ निकाली गयी। शोभायात्रा हरिशंकरी से शुरू होकर महाजन टोली, झुन्नुलाल चौराहा, आमघाट, चित्रगुप्त चौराहा (ददरीघाट), महुआबाग चौक होते हुए भजन कीर्तन के साथ पहाड़ खाँ पोखरा स्थित श्रीराम जानकी मंदिर पर जाकर सम्पन्न हुआ। लीला में दर्शाया गया माता पिता के आदेशानुसार अपनी माता कौशल्या के पास जाकर उन्हें प्रणाम करके तपस्वी का भेष बनाकर श्रीराम लक्ष्मण सीता वन के लिए प्रस्थान कर देते है। वन का सारा सामान सजाकर श्रीराम सीता लक्ष्मण सहित ब्राम्हण और गुरू के चरणो की वंदना करके सबको अचेतावस्था में करकेे चल दिये। श्रीराम राजमहल सेे निकलकर अपने कुलगुरू वशिष्ठ के दरवाजे पर जाकर खड़े होकर देखा कि सब लोग विरह की अग्नि में जल रहे है। फिर श्रीराम चन्द्रजी ब्राम्हणों की मण्डली को बुलाया, इसके बाद गुरूदेव से कहकर उन सबको वर्ष भर केे लिए भोजन दिये और आदरदान तथा विनय से उन्हे वश में कर लेते है, फिर याचको को बहुत सा दान मान देकर श्रीराम संतुष्ट करते है तथा मित्रों को पवित्र प्रेम से प्रसन्न कर देते है फिर दास दासियों को बुलाकर उन्हें गुरूदेव को सौंपकर हाथ जोडकर कहते है कि हे गुरूदेव इन सबकी माता पिता के समान देख रेख करते रहियेगा। बार-बार श्रीराम हाथ जोडकर सबसे कोमल वाणी कहतेे है कि मेरा सब प्रकार से हितकारी मित्र वही है जिसकी चेष्ठा सेे महाराज सुखी रहे। उन्होंने पुरवासियों से विदाई ले लेते है और वन पर सरकार वन प्रदेश केे लिए रवाना हो जाते है। वनगमन की राह में निषाद राज से मिलन के बाद भगवान श्री राम तमाशा निवास करते हैं। इस अवसर पर कमेटी के मंत्री ओमप्रकाश तिवारी, उपमंत्री लवकुमार त्रिवेदी, प्रबन्धक विरेश राम वर्मा, उप प्रबन्धक मयंक तिवारी, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार अग्रवाल, कुश कुमार त्रिवेदी, मनोज तिवारी उर्फ मन्नू भइया, श्रीराम सिंह यादव, बालगोविन्द त्रिवेदी आदि रहे।