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रामायण काल में था आदर्श व्यक्तित्व एवं अनुशासित जीवन शैली के अनुपालन पर जोर : अंशुमान सिंह

रिपोर्ट गुड्डू यादव
स्वतंत्र पत्रकार विजन
गाजीपुर। पी०जी० कालेज गाजीपुर में पूर्व शोध प्रबन्ध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी महाविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा विभागीय शोध समिति के तत्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार हाल में सम्पन्न हुई, जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। उक्त संगोष्ठी में विज्ञान संकाय के शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद विषय के शोधार्थी अंशुमान सिंह ने अपने शोध शीर्षक “समग्र रामायण में शारीरिक शिक्षा एवं खेल-कूद का विश्लेषणात्मक अध्ययन वर्तमान सन्दर्भ में” नामक विषय पर शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए रामायण कालीन समाज, शिक्षा, दीक्षा और शारीरिक शिक्षा के विविध आयामों पर विस्तृत शोध वाचन किया और रामायण कालीन व्यायाम व मनोरंजन के नृत्य गायन वादन के अनेकों प्रकार व तकनीकों पर विस्तार से वैज्ञानिक दृष्टि से वर्तमान की समस्त तकनीकों का तुलनात्मक पक्ष रखते हुए, रामायण कालीन छत्रों की दिनचर्या का सुव्यवस्थित तरीके से विभिन्न पहलुओं पर विशेष ध्यान आकृष्ट किया जैसे ब्रह्मुहुर्त में उठकर योग, ध्यान, पिपश्ना, चितंन, मनन, व्यायाम, अस्त्र शस्त्रों जैसे धनुर्विद्या, तलवार बाजी, भाला, बरछी, फरसा, गदा, कुश्ती, कूद, भाला फेंक आदि का प्रशिक्षण छात्र कुशल गुरुजनों से प्राप्त करते थे, इसके साथ साथ ज्ञानरंजन कार्य शुद्ध प्राकृतिक वातावरण में होता था, उस समय सभी का भोजन शुद्ध व सात्विक होने के साथ साथ कन्द, मूल, फल, शहद, घी, दूध, दही, अजवाइन, जीरा, सेंधानमक, आम का पना, इत्यादि भोजन में शामिल किया जाता था। रामायण काल में स्वास्थ्य, हृष्ट-पुष्ट शरीर, निरोगी काया और आदर्श व्यक्तित्व ,अनुशासित जीवन पर शक्ति से अनुपालन किया जाता था और माता-पिता, व गुरुजनों का आदर व सम्मान किये जाने हेतु दृढ संकल्प लिए जाते थे। उक्त शोध कार्य वर्तमान पीढ़ी के लिए बेहद महत्वपूर्ण मार्गदर्शन साबित होगा। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति,अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थी अंशुमान सिंह ने संतुष्टिपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात समिति एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह, मुख्य नियंता प्रोफेसर (डॉ०) एस० डी० सिंह परिहार, शोध निर्देशक डॉ० ओमदेव सिंह गौतम एवं शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० लवजी सिंह, डॉ० अनुराग सिंह, प्रोफे० (डॉ०) अरुण कुमार यादव, डॉ० रामदुलारे, डॉ० कृष्ण कुमार पटेल, डॉ० अमरजीत सिंह, डॉ० सुधीर कुमार सिंह, डॉ० प्रोफे०(डॉ०)सत्येंद्र नाथ सिंह, डॉ० हरेंद्र सिंह, डॉ० रविशेखर सिंह, डॉ० योगेश कुमार, डॉ०शिवशंकर यादव, डॉ. मनोज कुमार मिश्र, डॉ०अतुल कुमार सिंह, डॉ० रामधारी, डॉ० श्रवण कुमार शुक्ला एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र- छात्राएं आदि उपस्थित रहे। अंत में अनुसंधान एवं विकास प्रोकोष्ठ के संयोजक प्रोफे०(डॉ०) जी० सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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