प्रेस क्लब में महिलाओं के कार्यक्षेत्र की चुनौतियों पर सार्थक विमर्श, सामंजस्य की संस्कृति पर जोर
स्वयं शाही
स्वतंत्र पत्रकार विज़न
जनपद गोरखपुर कार्यस्थल पर महिलाओं को आने वाली समस्याओं और चुनौतियों से निपटने के लिए उनकी मुखरता सबसे जरूरी है। जब तक महिलाएं सहनशीलता की चुप्पी तोड़कर अपनी बात मजबूती से नहीं रखेंगी, तब तक समस्याओं का स्थायी समाधान संभव नहीं है। यह विचार पूर्व महापौर डॉ. सत्या पांडेय ने व्यक्त किए।डॉ. सत्या पांडेय सोमवार को गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब के सभागार में ‘कार्यक्षेत्र में महिलाओं के समक्ष चुनौतियां’ विषय पर आयोजित विमर्श कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के संरक्षण के लिए बने कानून तभी प्रभावी होंगे, जब महिलाएं स्वयं जागरूक होकर उनका उपयोग करेंगी। आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी योग्यता सिद्ध कर रही हैं, लेकिन उन्हें अब भी कार्यस्थल पर भेदभाव, फब्तियों और हीन भावना जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन स्थितियों को बदलने के लिए महिलाओं को आत्मविश्वास के साथ आगे आना होगा।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की राजनीति शास्त्र विभागाध्यक्ष एवं मिशन शक्ति की नोडल अधिकारी प्रो. विनीता पाठक ने कहा कि महिला और पुरुष में मूलतः कोई भेद नहीं है, अंतर केवल शारीरिक बनावट का है। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा की बजाय महिला-पुरुष के बीच सामंजस्य की भावना विकसित होनी चाहिए। महिलाएं आज दोहरी भूमिका निभा रही हैं—घर की जिम्मेदारी और कार्यक्षेत्र में उत्कृष्टता—और इसके बावजूद राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान दे रही हैं।सीआरडी पीजी कॉलेज की उप प्राचार्य डॉ. स्वप्निल पांडेय ने कहा कि महिलाओं की समस्याओं के समाधान की सबसे मजबूत नींव शिक्षा है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि महिलाओं को विषय चयन में पूरी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। अधिवक्ता परिषद की महामंत्री व वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अजिता पांडेय ने कहा कि अधिकार तो मिले हैं, लेकिन सामाजिक सोच में बदलाव अभी भी जरूरी है। वरिष्ठ संचालिका रीता श्रीवास्तव ने महिलाओं की प्रगति में पुरुषों के सहयोग को महत्वपूर्ण बताया।कार्यक्रम का संयोजन और स्वागत वरिष्ठ पत्रकार कंचन त्रिपाठी ने किया, जबकि विषय प्रवर्तन और संचालन कवयित्री डॉ. सरिता सिंह ने किया। कार्यक्रम में गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब के पदाधिकारियों, वरिष्ठ पत्रकारों, मीडियाकर्मियों एवं बड़ी संख्या में मातृशक्ति की सक्रिय उपस्थिति रही।

