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श्री रूद्रांबिका महायज्ञ में चल रहे भागवत कथा का श्रवण करने उमड़ा जनसैलाब

स्वतंत्र पत्रकार विजन
शशिकान्त जायसवाल

गाजीपुर। रेवतीपुर क्षेत्र के नवली में स्थित श्री रूद्रांबिका धाम प्राचीन शिवकाली मंदिर प्राचीन गंगा धारा नगरी परिसर में चल चल रहे श्री रूद्रांबिका महायज्ञ के क्रम में वेदाचार्य ,वेद विभूषण डॉ० पंडित धनंजय पांडेय के आचार्यत्व में काशी से पधारे पंडित गोविंद, जितेंद्र, गौरव आदि ने चारों वेदों के मंत्रों से सविधि पूर्वक मंडप में सभी देवताओं के पूजन क्रम को संपन्न कराया। आचार्य ने बताया कि देव पितृ कार्य में प्रमाद नहीं करना चाहिए। यथा सामर्थ्य अनुसार देव यज्ञ में सम्मिलित होने से मानव जीवन का उद्धार होता है। खचाखच भरे हुए श्रद्धालुओं से यज्ञ पंडाल में अपने मनोकामना की पूर्ति हेतु गांव क्षेत्र के बड़े, बूढ़े ,बच्चे, बच्चियों ने यज्ञ में आहुतियां समर्पित किया। यज्ञ के महिमा पर प्रकाश डालते हुए डॉ० पांडेय ने कहा कि यज्ञ को श्रेष्ठ कर्म बताया गया है। यज्ञ परमार्थ प्रयोजन के लिए किया गया एक उच्च स्तरीय पुरुषार्थ है। अंतर्रजगत में दिव्यता का समावेश कर प्राण की अपान में और अपान की प्राण में आहुति देकर जीवन रूपी समिधा को समाज रूपी यज्ञ में होम करना ही वास्तविक यज्ञ है। भावनाओं में यदि सत्प्रवृत्ति का समावेश होता चला जाए तो यही वास्तविक यज्ञ है। चौबीस अवतारों में एक अवतार यज्ञ भगवान का भी है। यज्ञ हमारी संस्कृति का आराध्य इष्ट रहा है तथा यज्ञ के बिना हमारे किसी दैनंदिन क्रियाकलाप की कल्पना तक नहीं की जा सकती। भागवत कथा का विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए काशी से पधारे भगवताचार्य पंडित कन्हैया द्विवेदी ने कहा कि भागवत कथा सुनने से सारे पापों से मुक्ति मिलती है और पितृगण भी संतुष्ट होते हैं। इस दौरान गोकर्ण उपाख्यान की कथा, परम पापी धुंधकारी की मुक्ति का वर्णन, ज्ञान वैराग्य की कष्ट निवृत्ति की चर्चा भागवत कथा में हुई। यज्ञ स्थल पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी रही ।इस दौरान श्रद्धालुओं ने पूरी तन्मयता से कथा का श्रवण किया ।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे श्री श्री 1008 स्वामी रामचरण दास ,दूधाधारी त्यागी जी महाराज का दर्शन व आशीर्वचन से सभी श्रद्धालु लाभान्वित हुए। इस मौके पर अजय पांडेय ,अरविंद सिंह, बबुआ सिंह, मुन्ना पांडेय ,उत्सव, हृदय नारायण ,साधु जी, गोविंद चौरसिया सहित क्षेत्र के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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