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घोर अव्यस्थाओं के बीच सहकारी चीनी मिल बेलरायां में सम्पन्न हुआ डेलीगेट का चुनाव

*जिन कर्मचारियों से मतदान कराया,उन्हीं की मतगणना में भी लगा दी ड्यूटी

*एआरओ अनुज अवस्थी ने बखूबी संभाला नामांकन से लेकर मतगणना तक पूरा मोर्चा

स्वतंत्र पत्रकार विजन
संवाददाता

लखीमपुर खीरी।
लोकसभा, विधानसभा और पंचायत जैसे बड़े-बड़े चुनाव सुगमतापूर्वक सम्पन्न करवाने वाले शिक्षक भी जिले की निघासन तहसील के बेलरायां में स्थित सरजू सहकारी चीनी मिल के इस चुनाव में बदइन्तजामियों से पसीना-पसीना हो गए।अव्यस्थाएँ इस कदर हावी रहीं कि सभी को नानी याद आ गयी।नामांकन से लेकर मतदान और मतगणना तक उन्हें कदम दर कदम इन अव्यस्थाओं से जूझना पड़ा।
सरजू सहकारी चीनी मिल बेलरायां में इस बार 26 सितम्बर से बेसिक शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई थी।लोकसभा,विधानसभा और पंचायत जैसे क्रिटिकल चुनाव निपटाने वाले शिक्षक आश्वस्त थे कि उन्हें इसमें कोई दिक्कत नहीं आएगी।लेकिन हुआ इसके ठीक उलट।

नामांकन के दिन एसडीएम और सीओ ने जमा कराया कर्मचारियों का मोबाइल

27 सितम्बर को डेलीगेट पद के लिए नामांकन होना था।शिक्षकों सहित अन्य कर्मचारियों को इसके लिए सुबह 8 बजे बुलाया गया था।और सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक उन्हें नामांकन प्रक्रिया सम्पन्न करानी थी।ड्यूटी में लगे कई कर्मचारियों ने बताया कि नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बाद पहले सीओ ने कर्मचारियों से कहा कि सभी अपने मोबाइल साइलेंट मोड पर लगा लें।लेकिन थोड़ी ही देर बाद एसडीएम ने सख्ती के साथ सभी कर्मचारियों के मोबाइल जमा करवा दिये।जबकि कर्मचारियों के लिए ऐसा कोई नियम था ही नहीं।इससे सभी कर्मचारी 10 बजे से 5 बजे तक बिना अपने घर परिवार के किसी भी संपर्क के अपनी ड्यूटी करने को मजबूर हुए।अगर इस दौरान परिवार में कोई घटना हो जाती तो उन तक सूचना भी नहीं पहुंच पाती।

नामांकन पत्रों की जांच में बिना पंखा पसीना-पसीना हो गए कर्मचारी

30 सितम्बर को नामांकन पत्रों की जांच होनी थी।यह कार्य सुबह 10 बजे से अपराह्न 3 बजे तक कराया गया।ड्यूटी में लगे कई कर्मचारियों ने बताया कि जिस हाल में कर्मचारियों को बिठाकर यह कार्य कराया गया,उसमें एक भी पंखा नहीं था।पांच घंटे में उमसभरी गर्मी में काम करते-करते सभी कर्मचारी पसीने से तरबतर हो गए।

मतदान कराने के बाद मतगणना में भी लगा दी उन्हीं कर्मचारियों की ड्यूटी

4 अक्टूबर को डेलीगेट पदों के लिए चुनाव कराया गया।चुनाव के लिए सुबह 8 बजे से अपराह्न 4 बजे तक का समय निर्धारित था।शिक्षकों और सफाई कर्मचारियों को इसमें मतदान अधिकारी बनाया गया था।कुछ बूथों में तो पांच बजे तक मतदान चला।इसके बाद इन्हीं कर्मचारियों को मतगणना में भी लगा दिया गया।जिससे कर्मचारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।प्रशासन चाहता तो मतगणना में दूसरे लोगों की ड्यूटी लगा सकता था।लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

एक बार के बजाय तीन शिफ्टों में कराई गई मतगणना

चुनाव में लगे अधिकारी निर्णय ही नहीं ले पा रहे थे कि उन्हें अच्छी व्यवस्था देने के लिए क्या करना है।इसी का नतीजा रहा कि 64 बूथों की जो मतगणना एक शिफ्ट में ही कराई जा सकती थी,वह तीन शिफ्टों में कराई गई।एक शिफ्ट में लगभग दो घंटे का समय लग रहा था।लेकिन तीन शिफ्टों में कराने से इसमें लगभग छः घंटे लगे।जबकि एक साथ मतगणना होने से यह कार्य अधिकतम दो घंटे में ही सम्पन्न हो जाता और कर्मचारी वहां से छुट्टी पाकर समय से भोजन पानी तो कर लेते।जिनकी ड्यूटी दूसरी शिफ्ट में लगी थी उन्हें दो घंटे और जिनकी ड्यूटी तीसरी शिफ्ट में लगी थी उन्हें चार घंटे का लंबा इंतजार करना पड़ा।कोई घास में लेटा था तो कोई माथे का पसीना पोंछ रहा था।इस दौरान चाय,भोजन तो दूर किसी ने उनसे पानी तक नहीं पूछा।

बूथों पर नहीं थी पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था

यह संवेदनशील चुनाव माना जाता है।कुल 64 बूथ बनाये गए थे।लेकिन बूथों पर पुलिस की व्यवस्था नगण्य थी।ज्यादातर पुलिस सिर्फ ग्राउंड तक ही सीमित थी।बूथों पर कभी कभार एक आध पुलिसकर्मी नजर आ जाते थे।बूथों पर लंबी लंबी लाइनें लगी हुईं थीं।दर्जनों के समूह में वोटर बूथ के अंदर घुसे चले आ रहे थे।कर्मचारियों की सुन नहीं रहे थे।कोई देखने वाला नहीं था।

नामांकन से लेकर मतगणना तक चुनाव का पूरा मोर्चा संभाला एआरओ अनुज अवस्थी ने

इस चुनाव में एडीओ (आईएसबी) अनुज अवस्थी की एआरओ के रूप में ड्यूटी लगाई गई थी।नामांकन से लेकर मतगणना तक पूरी चुनाव प्रक्रिया का मोर्चा एक तरह से उन्होंने अकेले ही संभाला।वह कर्मचारियों की समस्याएं सुनते भी थे और उनके निराकरण के लिए प्रयास भी करते थे।लेकिन कोई उनकी सुने तब न।इस चुनाव में एआरओ अनुज अवस्थी की मेहनत की सभी तारीफ कर रहे हैं।

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