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एबीवीपी-डीडीयू संयुक्त अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला की सिफारिशें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री. केंद्रीय शिक्षामंत्री को भेजा गया

इक़बाल अहमद
स्वतंत्र पत्रकार विजन

जनपद गोरखपुर भारत के 37 करोड़ युवाओं को युवाओं की शक्ति को राष्ट्र शक्ति में परिलक्षित कर विकसित भारत निर्मित अंतर्राष्ट्रीय दो दिवसीय कार्यशाला पांच तकनीकी सत्रों के महत्वपूर्ण सिफारिशों को समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो मोहन कोल्हे नोर्वे द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्तुत की गई हैं। इन सिफारिशों को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और केन्द्रीय शिक्षा मंत्री सहित विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष, नेक के अध्यक्ष, अखिल भारतीय विश्वविद्यालय संघ, एनसीईआरटी के अध्यक्ष को भेजा गया। कार्यशाला सिफारिशों को विशेष अतिथि डीन प्रो विकाश कुमार सिंह, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रो० उमा श्रीवास्तव, प्रो० सुषमा पांडेय, एसएफडी प्रांत प्रमुख डॉ स्मृति मल, प्रान्त मंत्री मयंक राय, प्रांत संगठन मंत्री श्री हरिदेव, अखिल भारतीय एसएफडी प्रमुख श्री राहुल गोड़, एग्री विज़न शुभम दुबे, विभाग संगठन मंत्री मानस राय, प्रान्त अध्यक्ष राकेश सिंह, प्रांत संयोजक अभिषेक त्रिपाठी, स्वालंबी भारत प्रांत संयोजक राजकुमार यादव, एसएफडी प्रान्त सयोजक निखिल गुप्ता सहित सैकड़ों की संख्या में प्रत्यक्ष प्रतिभागी एवं हजारों की संख्या में आभासी प्रतिभागियों की उपस्थिति में लांच किया गया। उद्यमिता प्रोत्साहन सत्र में गोरक्ष प्रांत के ग्रामीण एवं सुदूर इलाकों में सफलतापूर्वक उद्यम का संचालन करने वाले महिला उद्यमी तथा युवा उद्यमी को साल, श्रीफल, प्रशंसा प्रमाण पत्र देकर 15 उद्यमियों का सम्मान किया गया। प्रांत के अलग-अलग जिला के सफल उद्यमी सम्मिलित हुए, इसके साथ ही दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के लगभग 500 छात्र छात्राओं ने अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का प्रमाण पत्र प्राप्त किया। मुख्य अतिथि प्रो मोहन कोल्हे नोर्वे ने अपने संबोधन में कहा की भारत के 37 करोड़ युवाओं की शक्ति को राष्ट्र शक्ति में परिलक्षित कर विकसित भारत के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवा और छात्र स्वावलंबन केंद्र की स्थापना जरुरी है, पारंपरिक प्लेसमेंट सेल की जगह स्वावलंबन केंद्र की स्थापना हो जिसके संचालन हेतु मानक संचालन प्रक्रिया बनाई जाएगी, जिसमें सामाजिक संगठनों, छात्र संगठनों और संस्थानों की संयुक्त भागीदारी होगी। नैक रैंकिंग में उद्यमिता को प्राथमिकता देते हुए उच्च शिक्षा संस्थानों का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाएगा कि वे कितने छात्रों और युवाओं को उद्यमी बना रहे हैं। रैंकिंग में 500 अंकों का प्रावधान किया जाए।
प्रो विकास सिंह ने अपने संबोधन में कहा की शोध को राष्ट्र निर्माण से जोड़कर स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी स्तर पर शोध कार्यों को स्थानीय संसाधनों और नवाचार से जोड़ते हुए राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित किया जाएगा। इससे 37 करोड़ युवाओं को उद्यमिता से जोड़ा जाएगा।उद्यमिता को अनिवार्य बहु-विषयक पाठ्यक्रम बनाकर उच्च शिक्षण संस्थानों में उद्यमिता को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल किया जाए। इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एक व्यापक पाठ्यक्रम तैयार करे।
एबीवीपी के प्रान्त मंत्री मयंक राय ने कहा की शैक्षणिक संस्थानों में सामाजिक संगठनों के विशेषज्ञों द्वारा पर्यावरण स्वराज, ऊर्जा स्वराज और क्लाइमेट-स्मार्ट कैंपस जैसे विषयों पर नियमित व्याख्यान आयोजित किए जाएं। “स्व का जागरण” का अनिवार्य पाठ्यक्रम बनें तथा छात्रों और युवाओं में आत्मनिर्भरता, सामाजिक जिम्मेदारी और आत्मचिंतन को बढ़ावा देने के लिए “स्व का जागरण” पर एक अनिवार्य पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा, जो राष्ट्र निर्माण में योगदान देगा।
डा हर्षा सपधारे, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया, डा के एम एस वाई कोनारा, यूनिवर्सिटी ऑफ रूहुआना, श्री लंका, डा अनिता सिंह, केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा, डॉ. ब्रिज एन. सिंह, यूएसए, डॉ. संजीत द्विवेदी, डेनमार्क ने भी विषय को बताया भी बताया की सिफारिशों का उद्देश्य भारत को एक नवाचार और उद्यमिता का केंद्र बनाना है, जो युवाओं को सशक्त बनाकर देश को आत्मनिर्भरता और विकास की दिशा में अग्रसर करेगा। एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार से मिलकर इन महत्वपूर्ण सिफारिशों को लागू करने के लिए एक विशेष रणनीतिक योजना प्रस्तुत करेगा, जिसका उद्देश्य भारत की शिक्षा प्रणाली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत राष्ट्र के पुनर्निर्माण और इसके युवाओं को सशक्त बनाना है।

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