गलतियां उस आकर्षित स्त्री की तरह होती हैं जो सबको पसंद हैं जो हर कोई करता है ,लगभग सभी लोग इसके आकर्षण का शिकार होते हैं।
गलतियां उस सरल ,सहज, मासूम स्त्री की तरह भी होती हैं जो आसानी से सरलता से बिना कुछ जाने, बिना कुछ कहे सबकी हो जाती हैं और सहजता से सबको स्वीकार कर लेती हैं।
गलतियां उस नाजायज बच्चे की तरह भी हैं,जो सबकी आवश्यकता हैं,पसंद की जाती है ,कि जाती हैं किंतु स्वीकार नहीं की जातीं ,अपनाई नहीं जातीं ,वो भी स्वीकार नहीं करते जिन्हें भली भांति ज्ञात है कि वो उनकी हैं
गलतियों की शर्त है वो अनजाने में होनी चाहिएं ,ना समझी में होनी चाहिएं, गलतियां सुधारी जानी चाहिए , गलतियां दोहराई नहीं जानी चाहिए।
………. प्रियंका पांडेय…………….