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मुख्यमंत्री योगी जी के राज मे कब्जा धारियों को हटाने के मामले में प्रशासन की कछुआ चाल

दुर्गेश मूर्तिकार

सिद्धार्थनगर बांसी। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का निर्देश कि सार्वजनिक संपत्ति के कब्जाधारियों पर कठोर कार्रवाई किया जाएगा सिर्फ एक्स प्लेटफार्म और अखबारों की हेडिंग बन कर रह जा रहा है। यहां पर तहसील प्रशासन ने काफी हो हल्ला मचने के बाद अपने टीम द्वारा पैमाइश कराया तो स्पष्ट तौर पर 02 पूर्व नपाध्यक्षों लोकनिर्माण विभाग की सड़क सहित 19 लोगों को रामलीला के जमीन पर कब्जा करने का मामला लिखित में उजागर किया है। उल्लेखनीय है कि प्राचीन नगर बांसी में 1860 के समझौते में दिए गए 0.577 हेक्टेयर जदीद बाजार व रामलीला मैदान के नाम से मंगल बाजार में जमीनें छोड़ी गई थी। मुख्य बाजार अंतर्गत इस जमीन पर नगरपालिका और लोक निर्माण विभाग द्वारा सडक बनाकर कब्जा कर लिया गया है। नगरपालिका बांसी जहां कमर्शियल प्लेस और अधिशाषी अधिकारी का आवास बनाकर चैन से सो रहा है वहीं लोकनिर्माण विभाग अपनी सड़क बनाकर मस्त है। जिन कब्जा धारियों का नाम तहसील प्रशासन ने उजागर किया उनमें सुभान पुत्र गुड्डू टीन सेड, मोहम्मद इद्रीस पटवारी ( पूर्व नपाध्यक्ष)पक्का मकान,रईश पक्का मकान,करन पक्का मकान, मनोज जायसवाल पक्का मकान,मोनू पक्का मकान, उमेश पुत्र हरिश्चंद्र पक्का मकान, विजय कुमार लक्ष्मण प्रसाद पक्का मकान टीन सेड, ध्रुव जायसवाल(पूर्व नपाध्यक्ष)टीन सेड, सुरेश टीन सेड, विष्णु जायसवाल टीन सेड,सीमा द्विवेदी सहन, अकबर खान टीन सेड, अकबर अली पक्का मकान (दुकान), उमेश पक्का मकान, शम्भू प्रसाद पक्का मकान, दयाशंकर पक्का मकान,वृजवल्लभ पक्का मकान, अधिशाषी अभियंता पक्का मकान। इसमें कई कब्जा धारी ऐसे भी हैं जिन्होंने तीन -तीन स्थानों पर कब्जा जमा रखा है। इन कब्जा धारियों को बेदखल करने के मामले में तहसील प्रशासन घुटने टेक कर आंख बंद कर लिया है। इस विषय में पूर्व उपजिलाधिकारी प्रमोद कुमार द्वारा स्थानीय अखबारों में छपने और शिकायत प्राप्त होने के बाद 25 जुलाई 2023 को मौका मुआयना करके बेदखली का एलान कराया गया। इसके पश्चात 30 अगस्त को सीमांकन कराया गया। लगातार 04 दिन तक चले सीमांकन के बाद 12 व्यक्तियों को अवैध रूप में जदीद बाजार/ रामलीला मैदान पर कब्जा करने के लिए चिन्हित करके रिपोर्ट दे दिया गया है। इससे पूर्व कुछ टीन टप्पर को बुलडोजर के माध्यम से हटाया भी गया था ।09 सितंबर को दिए गए रिपोर्ट में तहसील प्रशासन द्वारा लिखा गया कि स्थाई और अस्थाई रूप से रामलीला मैदान पर कब्जा कर लिया गया है। दूसरी तरफ कब्जा हटाने के लिए जंग लड़ रहे रामलीला कमेटी के अध्यक्ष शम्भू कश्यप का कहना है कि नियमगत तरीके से कब्जा धारियों को भू माफिया घोषित करके छुड़ाने की कौन कहे उल्टे पूर्व नपाध्यक्ष द्वारा मुझे धमकी देकर नकली कागज जुटा कर मेरे ऊपर मुकदमा लिखा दिया गया है। लगभग 15 वर्षों से जमीन को छुड़ाने के लिए आफिस और कोर्ट का चक्कर काट रहे शम्भू कश्यप का कहना है कि मैं योगी आदित्यनाथ जी के दरबार से भी आदेश का कापी ले आया हूं। 1840 में बने तहसील बांसी में बहुत कुछ गड़बड़ी है। सबकुछ यथावत बनाए रखने के उद्देश्य से अधिकारी आते हैं और यथावत छोड़कर स्थानांतरित हो जाते हैं।उधर रक्तबीज की तरह कब्जा धारी नित्य नए स्थानों को कब्जा करने के लिए अपना प्लान बनाकर सफल होते जा रहे हैं। शम्भू कश्यप का कहना है कि सार्वजनिक संपत्ति की जमीनों को छुड़वाया जाए। तहसील के तरफ से कहा गया कि कमेटी नोटिस जारी करे। कमेटी का कहना है कि यहां बड़े बड़े घाघ बैठे हैं जो प्रशासन को कुछ नहीं समझ रहे हैं तो नोटिस का क्या मायने है।

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