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हां लक्ष्य बाधित होते हैं ,कभी हंसते हैं कभी रोते हैं उतार-चढ़ाव आता है, पथ से जो भटकाता हैइसमें उलझे रह गए तो,क्या मिलेगा???

हां लक्ष्य बाधित होते हैं ,कभी हंसते हैं कभी रोते हैं उतार-चढ़ाव आता है, पथ से जो भटकाता है
इसमें उलझे रह गए तो,
क्या मिलेगा???

वो मंजिल जिसके लिए चले थे,भटके थे यहां वहां गले थे
हां माना की मुश्किल है और इससे भी मुश्किल होगा
पर कहीं रुक गए तो,
तो क्या मिलेगा???

बाजार में जाते ही खो जाते हैं,जरूरत भूलकर बाजार के हो जाते हैं
चमकती दमकती चीज़ें ,अपनी ओर खींचती हैं ,भटकाती हैं रोकती हैं
इन्हीं चमक में खो गए तो,
क्या मिलेगा ???

गवा बैठेंगे अपनी चमक, अपना व्यक्तित्व अपनी धमक
बाजार में बिकना नहीं अपना बाजार बनाना है
बाजार में बिक गए तो ,
क्या मिलेगा???????

……………. प्रियंका पांडेय……………….

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